#NewsBytesExplainer: क्या है नकबा और इजरायल-हमास संघर्ष में क्यों हो रही है इसकी चर्चा?
इजरायल और हमास के बीच पिछले एक हफ्ते से लगातार युद्ध चल रहा है। अब तक इसमें 3,200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इजरायल ने अब गाजा पट्टी के 11 लाख लोगों को दक्षिण की ओर जाने को कहा है। इससे गाजा में भीषण पलायन की स्थिति हो गई है और लोग सामान के साथ दक्षिण की ओर जा रहे हैं। इसे दूसरा नकबा कहा जा रहा है। आइए समझते हैं कि ये नकबा क्या होता है।
क्या होता है नकबा?
अरबी में नकबा शब्द का अर्थ विनाथ होता है। फिलिस्तीन के लोग इस शब्द का उपयोग 1948 के अरब-इजरायल युद्ध में हुई तबाही और विस्थापन के संदर्भ में करते हैं। दरअसल, 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद फिलिस्तीन के करीब 7.5 लाख लोग शरणार्थी बन गए थे और उन्हें पलायन करना पड़ा। हर साल 15 मई के दिन को फिलिस्तीन के लोग अल-नकबा के तौर पर याद करते हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमॉन साम्राज्य की हार हुई और फिलिस्तीन का पूरा इलाका ब्रिटेन के कब्जे में आ गया। साल 1917 में ब्रिटेन ने 'बाल्फोर डिक्लेरेशन' जारी किया। इसके तहत फिलिस्तीन को बांटकर यहूदियों के लिए एक देश बनाने का वादा किया। इसका फिलिस्तीन के लोगों ने जमकर विरोध किया। हालांकि, ब्रिटेन सरकार ने इस विरोध को पूरी तरह कुचल दिया, लेकिन धीरे-धीरे फिलिस्तीनी लोगों और यहूदियों के बीच हिंसा बढ़ने लगी।
ब्रिटेन ने UN को सौंप दिया फिलिस्तीन विवाद का जिम्मा
एक ओर, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन इतना ताकतवर नहीं रहा। दूसरी ओर, फिलिस्तीन में स्थानीय लोगों और यहूदियों के बीच संघर्ष बढ़ने लगा। ब्रिटेन इन सबसे परेशान हो गया और उसने फिलिस्तीन का मसला संयुक्त राष्ट्र (UN) को सौंप दिया। UN ने इस पूरे इलाके को 2 देशों में बांट दिया- फिलिस्तीन और इजरायल। जेरूसलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया गया। फिलिस्तीन ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया, जबकि इजरायल ने इसे स्वीकार कर लिया।
7 लाख फिलिस्तीनियों को छोड़ना पड़ा घर
फिलिस्तीन का कहना था कि कम आबादी के बावजूद यहूदियों को 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा दे दिया गया। इस दौरान यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच टकराव बढ़ता रहा। 1948 की शुरुआत में इजरायल ने कई फिलिस्तीनी गांवों और शहरों पर कब्जा कर लिया। इस वजह से लाखों फिलिस्तीनियों को विस्थापित होना पड़ा। इन सबके बीच 14 मई, 1948 को इजरायल ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। इसके बाद 1949 तक अरब-इजरायल युद्ध चला।
1998 में हुई अल-नकबा मनाने की शुरुआत
14 मई को इजरायल के लोग अपने देश की स्थापना का जश्न मनाते हैं। दूसरी ओर, 15 मई को फिलिस्तीन के लोग तबाही का दिन मानते हैं। 1998 में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति यासिर अराफात ने अल-नकबा मनाने की शुरुआत की थी। तब से हर साल अल-नकबा मनाया जाता है। इसी साल नकबा के 75 साल पूरे हुए हैं, जिसका स्मृति दिवस न्यूयॉर्क स्थित UN के मुख्यालय में भी मनाया गया था।
नकबा के बारे में क्या कहता है इजरायल?
इजरायल नकबा शब्द को 'अरब झूठ' या 'आतंकवाद के औचित्य' का प्रतीक मानता है। 2009 में इजरायली शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों के लिए फिलिस्तीनी पाठ्यपुस्तकों में 'नकबा' शब्द के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2011 में इजरायल की संसद ने सभी संस्थानों को इससे जुड़े आयोजनों को मनाने से इनकार कर दिया था। जब UN ने नकबा के 75 साल होने पर स्मृति दिवस मनाया तो इजरायल ने इसे यहूदी विरोधी आयोजन बताया।
न्यूजबाइट्स प्लस
इजरायल और अरब देशों के बीच कई युद्ध हुए हैं। इनमें अरब देशों की हार हुई और हर बार इजरायल ने नए इलाकों पर कब्जा कर लिया। फिलहाल फिलिस्तीन के करीब 78 प्रतिशत हिस्से पर इजरायल का कब्जा है और फिलिस्तीन के पास करीब 20 प्रतिशत जमीन है, जिसे गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के तौर पर जाना जाता है। दोनों के बीच कई बार समझौते की कोशिश हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।