#NewsBytesExplainer: पाकिस्तान का आतंकी संगठन जैश अल-अदल क्या है और ईरान ने क्यों उसको निशाना बनाया?
क्या है खबर?
ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित आतंकी संगठन जैश अल-अदल के 2 ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया है।
हमले के बाद से इस संगठन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि आखिर यह संगठन क्या है और ये कितना खतरनाक है कि ईरान ने इस पर हमला करने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान की नाराजगी मोल ली।
चलिए ऐसे ही सवालों के जवाब जानते हैं।
स्थापना
जैश अल-अदल क्या है और कब हुई थी इसकी स्थापना?
अरबी भाषा में जैश अल-अदल का मतलब 'न्याय की सेना' होता है। यह एक सुन्नी आतंकवादी समूह है, जिसकी स्थापना 2012 में वैश्विक आतंकी संगठन जुंदल्लाह के सदस्यों ने की थी। वर्तमान में सलाहुद्दीन फारूकी इसका प्रमुख है।
यह संगठन ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत और पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ठिकानों से संचालित होता है और दोनों प्रांतों की आजादी के लिए लड़ने का दावा करता है।
इस पर ईरान, जापान, न्यूजीलैंड और अमेरिका ने प्रतिबंधि लगा रखा है।
लिंक
कई आतंकी संगठनों से है जुड़ाव
जैश अल-अदल संगठन ईरान और पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है।
इस संगठन के ईरान में सक्रिय एक अन्य ईरानी बलूच सुन्नी सशस्त्र समूह 'अंसार अल-फुरकान' और अलकायदा से भी संबंध हैं।
संगठन को बलूच जनजातियों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें शिया प्रभुत्व वाले ईरान में भेदभाव के कारण असंतोष की भावना है।
यह सीरिया के गृह युद्ध में ईरानी कुर्द अलगाववादियों का समर्थन करता है।
चुनौती
ईरान के लिए क्यों चुनौती बना हुआ है यह संगठन?
पाकिस्तान-ईरान की खुली सीमा जैश के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन गई है।
यहां से हथियारों की आपूर्ति और तस्करी आसान है, जिससे यह ईरानी सुरक्षा बलों और उनके बुनियादी ढांचो को निशाना बनाता है।
दक्षिण-पूर्वी ईरान के ऊबड़-खाबड़ और दूरदराज के इलाकों में काम करने की संगठन की क्षमता सुरक्षा बलों की चुनौतियों को और बढ़ा देती है।
इसी कारण ईरानी सरकार के लिए इस आतंकी संगठन की गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटना कठिन हो गया है।
संबंध
ईरान और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव का कारण है यह संगठन
जैश अल-अदल संगठन के कारण ईरान और पाकिस्तान के संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।
ईरान ने कई अवसरों पर पाकिस्तान पर इस संगठन को पनाह देने और उसका समर्थन करने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने हर बार इन आरोपों से इनकार किया है।
साल 2014 में जब ईरान के 5 सैनिकों का अपहरण इस संगठन ने किया था, तब उसने अपने सैनिकों को पाकिस्तान की सीमा में भेजने की चेतावनी दी थी।
ईरान पर हमले
संगठन ने ईरान में कब-कब हमले किए?
जैश अल-अदल ने ईरान में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है।
उसने दिसंबर, 2023 में सिस्तान-बलूचिस्तान में एक पुलिस थाने पर हमला किया था, जिसमें करीब 11 सुरक्षा बलों की मौत हुई थी।
उसने सबसे पहला हमला 25 अगस्त, 2012 को किया था, जिसमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के 10 सदस्य मारे गए थे।
2014 में उसने 5 ईरानी सैनिकों का अपहरण किया था। बाद में एक की हत्या कर 4 सैनिकों को छोड़ दिया था।
हमले
और किन हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है यह संगठन ?
13 फरवरी, 2019 को ईरान में IRGC कर्मियों को ले जा रही बस पर हुए आत्मघाती बम विस्फोट में 27 जवान मारे गए थे। इसकी जिम्मेदारी इस संगठन ने ली थी।
8 जुलाई, 2023 को समूह ने जाहेदान में एक पुलिस स्टेशन पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 2 पुलिस अधिकारी मारे गए।
जनवरी, 2020 में उसने निकशहर में ईरानी सैन्य अड्डे पर हमला किया, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और 5 अन्य घायल हो गए।
हमला
ईरान ने संगठन के सर्वोच्च नेता को दी थी फांसी
अब ईरान ने इस संगठन के ठिकानों पर हमला कर अपना बदला लिया है। इससे पहले भी ईरान ने इस संगठन के कई बड़े नेताओं को मार गिराया है।
2015 में ईरान ने 2 IRGC कर्मियों की हत्या के आरोप में अब्दुलहामिद मीर बलूचजेही को फांसी दी थी, जो इस संगठन का प्रमुख सदस्य था।
हालांकि, इसके बावजूद ये संगठन मजबूत बना हुआ है और इसके कारण पाकिस्तान और ईरान के संबंधों में तनाव है।