#NewsBytesExplainer: गाड़ियों के लिए FWD, AWD ड्राइवट्रेन के क्या हैं मायने? जानिए इनके प्रकार
क्या है खबर?
आपने ध्यान दिया होगा कि बाजार में फ्रंट व्हील और रियर व्हील ड्राइवट्रेन वाली गाड़ियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन अभी भी ऐसे कई लोग हैं जिन्हे फ्रंट, रियर, ऑल और 4 व्हील ड्राइव वाली गाड़ियों के बारे में नहीं पता है।
ऐसे लोगों के लिए आज हम कार गाइड में आपके लिए ड्राइवट्रेन के प्रकार की जानकारी लेकर आये हैं।
आइये जानते हैं कि व्हील ड्राइव कितने तरह के होते हैं और इनके फायदे और नुकसान क्या हैं।
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फ्रंट व्हील ड्राइव (FWD)
वर्तमान में फ्रंट व्हील ड्राइवट्रेन का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। इसमें गाड़ी को चलाने के लिए आगे के पहियों का उपयोग किया जाता है। यानी इसमें इंजन सामने वाले पहियों को पावर देता है।
इसमें स्टीयरिंग, व्हील ड्राइविंग और ब्रेकिंग के लिए फ्रंट व्हील का ही इस्तेमाल किया जाता है। देश में उपलब्ध मारुति सुजुकी डिजायर, ऑल्टो और टाटा पंच जैसी गाड़ियों में फ्रंट व्हील ड्राइव सेटअप मिलता है।
काम
FWD के फायदे-नुकसान
FWD वाली गाड़ियों में गाड़ी का अधिकांश वजन सामने की तरफ होता है और इस वजह से कार को अधिक ट्रैक्शन मिलता है, जिससे गाड़ी का संतुलन सड़कों पर बना रहता है FWD वाली गाड़ियों को बनाना आसान है और इनमें माइलेज भी बेहतर मिलती है।
हालांकि, FWD वाली गाड़ियों में टॉर्क स्टीयरिंग अधिक होता है। यानी इसमें इंजन की शक्ति सामने वाली पहियों पर होती है, जिससे तेज स्पीड के दौरान स्टीयरिंग में वाइब्रेशन होने लगता है।
#2
रियर व्हील ड्राइव (RWD)
RWD ड्राइवट्रेन FWD के ठीक विपरीत है। इसमें इंजन पीछे वाले पहियों को पावर देता है।
इसमें स्टीयरिंग और ब्रेकिंग तो फ्रंट व्हील में होती है, लेकिन व्हील ड्राइविंग पीछे की पहिये पर होती है। यानी गाड़ी को चलाने का काम तो पिछले वाले पहियों का होता है, लेकिन दिशा बदलने और ब्रेक लगाने की जिम्मेदारी आगे वाले पहियों की होती है।
देश में उपलब्ध महिंद्रा बोलेरो, स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियां RWD तकनीक के साथ आती है।
काम
RWD के फायदे-नुकसान
RWD में सामने वाले पहियों से ज्यादा पीछे वाले पहियों पर पावर मिलती है। इस वजह से इसमें टॉर्क स्टीयरिंग की समस्या नहीं होती। यानी RWD वाली गाड़ियां में हाई-स्पीड के दौरान स्टीयरिंग वाइब्रेशन का डर कम रहता है।
भले ही RWD वाली गाड़ियों में टॉर्क स्टीयरिंग समस्या नहीं होती, लेकिन इसमें ब्रेक और पावर अलग-अलग पहियों में होती है, जिससे ट्रैक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसमें ब्रेक लगाने के दौरान गाड़ी के फिसलने का खतरा रहता है।
#4
ऑल व्हील ड्राइव (AWD)
ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम का काम गाड़ी के सभी पहियों पर पावर पहुंचाना है। AWD सिस्टम में फुल टाइम AWD या हाफ AWD मिलता है।
फुल AWD में आगे और पीछे सभी पहियों पर हर समय पावर पहुंचती रहती है। लेकिन हाफ AWD में या तो आगे या पीछे के पहिए पर ही हर समय पावर पहुंचती रहती है।
मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा, महिंद्रा XUV700 और स्कोडा कोडियाक जैसी गाड़ियों में AWD पावरट्रेन मिलता है।
काम
AWD के फायदे-नुकसान
ऑल व्हील ड्राइव पूरी तरह से ऑटोमैटेड होती है। इसमें चालक को FWD या RWD का विकल्प नहीं चुनना पड़ता। गाड़ी जरूरत के अनुसार ही ड्राइवट्रेन का इस्तेमाल करती है।
हालांकि, ऑल व्हील ड्राइव को बनाना कठिन है और इसकी कीमत भी ज्यादा होती है। साथ ही एक बार अगर ये खराब हो जाए तो इन्हे बनवाने में भी अधिक लागत आती है। इसके अलावा इसमें माइलेज भी कम मिलती है।
#3
4 व्हील ड्राइव (4WD)
4 व्हील कार के सभी चार पहियों को पावर मिलती है। 4 व्हील ड्राइव सिस्टम में गाड़ी के सभी टायरों में एक समान पावर डिवाइड होती है। जितनी पावर फ्रंट व्हील को मिलती है, उतनी ही रियर व्हील को भी जाती है।
4WD सिस्टम में 2 मोड मिलते हैं। पहले मोड में चारों पहियों को समान पावर मिलती है और दूसरे मोड में केवल पीछे वाले पहियों को पावर मिलती है।
महिंद्रा थार में 4WD सिस्टम मिलता है।
काम
4WD के फायदे-नुकसान
4WD में चालक मोड बदलकर 4WD और RWD का चुनाव कर सकते हैं, जिससे 4WD वाली गाड़ियां ऑफ-रोडिंग में बेहतर प्रदर्शन करती हैं और उबड़-खाबड़ रास्तों में इनके फसने का खतरा भी नहीं रहता।
हालांकि, 4WD वाली गाड़ियों के केबिन में कम आराम मिलता है, जिस वजह से लंबी यात्रा के दौरान थकान हो सकती है। साथ ही 4WD वाली वाली गाड़ियों को मैंटेन करना भी काफी खर्चे का काम है।