दिल्ली: क्या है मोहल्ला क्लीनिक में फर्जीवाड़े का मामला, जिसकी CBI जांच चाहते हैं उपराज्यपाल?
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों में कथित फर्जीवाड़े की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की सिफारिश की। आरोप है कि मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जी मरीजों के नाम पर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी टेस्ट किए गए और ऐसा करके निजी कंपनियों को करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया। इससे पहले उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नकली दवाओं की सप्लाई में भी CBI जांच की सिफारिश की थी।
क्या है पूरा मामला?
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मोहल्ला क्लीनिकों में "गंभीर धोखाधड़ी" का पता चलने के बाद उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की है। सूत्रों ने बताया, "पिछले साल यह सामने आया कि डॉक्टर मोहल्ला क्लीनिक में अनुपस्थित थे, लेकिन फिर भी उन्हें उपस्थित दिखाया गया। यह भी सामने आया कि अनधिकृत/गैर-चिकित्सा कर्मचारियों ने डॉक्टरों की अनुपस्थिति में टेस्ट और दवाएं लिखी थीं। बाद में यह पाया गया कि टेस्ट अदृश्य रोगियों पर किए गए।"
कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा?
मामले की शुरुआत तब हुई जब पिछले साल पता चला कि दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम, शाहदरा और उत्तर-पूर्व जिलों में स्थित 7 मोहल्ला क्लीनिकों में डॉक्टर पहले से रिकॉर्ड वीडियो के जरिए फर्जी बायोमेट्रिक अटेंडेंस दर्ज कराते थे। इन डॉक्टरों के खिलाफ सितंबर, 2023 में एक FIR दर्ज की गई और इन्हें पैनल से हटा दिया गया। इसके बाद 2 लैब सर्विस प्रोवाइडर्स से इन क्लीनिकों के जुलाई-सितंबर के लैब टेस्टिंग डाटा की जांच की, जिसमें पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
कैसे हो रहा था फर्जीवाड़ा?
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल को सौंपी गई स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में सामने आया कि मरीजों के टेस्ट के लिए फर्जी मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया था, यानी मरीजों के फर्जी लैब टेस्ट दिखाकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। जांच में पाया गया कि एक मोबाइल नंबर से 15-20 लैब टेस्ट किये गए। इस तरह निजी लैब को उन टेस्ट के लिए भुगतान किया गया, जो केवल कागजों पर हुए थे।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में और क्या खुलासे हुए?
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार विभाग की मूल्यांकन रिपोर्ट ने हैरान कर देने वाले खुलासे किये हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में 11,657 ऐसे टेस्ट मिले, जिनमें मोबाइल नंबर की जगह 'शून्य' लिखा हुआ था। 8,251 मामलों में मोबाइल नंबर की जगह को खाली छोड़ दिया गया। इसी तरह 3,092 टेस्ट में मोबाइल नंबर '9999999999' और 400 टेस्ट में मोबाइल नंबरों की शुरुआत 1,2,3,4,5 से हुई। 999 मोबाइल नंबर ऐसे रहे, जिनका इस्तेमाल 15 या अधिक बार किया गया।
दिल्ली सरकार ने आरोपों पर क्या कहा?
दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, "मैंने ही बताया था कि कुछ डॉक्टर लेट आते हैं या जल्दी जाते हैं। क्लीनिक में उपस्थिति वीडियो से लगती है। कुछ डॉक्टरों ने अपना वीडियो रिकॉर्ड करके क्लीनिक के कर्मचारी को दे दिया। हमने जब जांच कराई तो पाया कि डॉक्टर आते दूसरे कपड़े में हैं और जाते दूसरे कपड़े में।" उन्होंने कहा, "7 डॉक्टरों समेत 26 लोगों को निकाला गया था और सख्त कार्रवाई का आदेश दिया गया था।"
न्यूजबाइट्स प्लस
दिल्ली सरकार पहले से ही कई मामलों में घिरी हुई है। सरकार के कथित शराब नीति घोटाले की CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जांच कर रही हैं। हाल ही में उपराज्यपाल ने वन एवं वन्यजीव विभाग में हुए 223 करोड़ रुपये के घोटाले में कर्मियों के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश की थी। इसके अलावा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही दवाओं की गुणवत्ता को लेकर भी उपराज्यपाल ने CBI जांच की सिफारिश की है।