छुट्टी लेकर मतदान न करने वालों का पता लगाएगा चुनाव आयोग, बनाई विशेष योजना
चुनाव के दिन कार्यालय से छुट्टी लेने के बाद भी मतदान न करने वाले कर्मचारियों के लिए चिंता की खबर है। चुनाव आयोग (EC) ने इन कर्मचारियों का पता लगाने और उन्हें मतदान का महत्व समझाने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की है। इसके तहत आयोग की ओर से केंद्र और राज्य सरकार के सभी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और 500 से अधिक कर्मचारियों वाली निजी कंपनियों में निगरानी के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
चुनाव आयोग की ओर से नियोक्ताओं को लिखा जाएगा पत्र
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता दूर करने के लिए आयोग की ओर से जल्द ही सरकारी विभागों और सार्वजनिक तथा निजी कंपनियों के नियोक्ताओं पत्र लिखकर ऐसे कर्मचारियों की निगराने के लिए कहा जाएगा। इसमें उन्हें विशेष अवकाश लेकर मतदान न करने वाले कर्मचारियों पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा जाएगा।
"मतदाता जागरूकता कार्यशालाओं में बुलाए जाएंगे कर्मचारी"
अधिकारी ने कहा, "हम नियोक्ताओं से छुट्टी लेकर मतदान न करने वाले कर्मचारियों को चुनाव आयोग द्वारा आयोजित विशेष मतदाता जागरूकता कार्यशालाओं में भेजने के लिए कहेंगे। इसका उद्देश्य मतदाता उदासीनता से निपटना है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।" उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग छुट्टी लेकर भी वोट नहीं डाल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि पहचान के बाद कार्यशाला में भेजे जाने की कार्रवाई कर्मचारियों की उदासीनता को काफी हद तक हतोत्साहित करेगी।"
पांच सबसे कम मतदान प्रतिशत वाले केंद्रों की पहचान की जाएगी
अधिकारी ने बताया कि आयोग की ओर से देश के सभी जिला चुनाव अधिकारियों/रिटर्निंग अधिकारियों को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम पांच सबसे कम मतदान प्रतिशत वाले केंद्रों की पहचान करने के भी निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी कम मतदान के कारणों की पहचान करेंगे और मतदान प्रक्रिया में बाधा डालने वाले अन्य कारणों को दूर करने के लिए इन बूथों का दौरा करेंगे। इससे भविष्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मतदान के लिए कर्मचारियों को मिलती है पेड लीव
बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135B के तहत किसी भी व्यवसाय, व्यापार, औद्योगिक उपक्रम या किसी अन्य प्रतिष्ठान में कार्यरत और मतदान के लिए पात्र पंजीकृत मतदाता को चुनाव में मतदान करने के लिए एक दिन की पेड लीव (सवैतनिक अवकाश) दी जाती है। राज्य और केंद्र सरकारें परक्राम्य लिखित अधिनियम, 1881 की धारा 25 के तहत मतदान दिवस को सवैतनिक अवकाश के रूप में अधिसूचित करती हैं।
शहरी क्षेत्रों में है सबसे अधिक उदासीनता
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदान के अधिकारों के बारे में अधिक जागरुकता के बाद भी शहरी क्षेत्रों में मतदाता उदासीनता सबसे अधिक है। लोकसभा चुनाव-2019 में शहरी क्षेत्रों में 67.40 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें धुबरी (असम) में 90.66 प्रतिशत, बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) में 87.34 प्रतिशत और अरुणाचल में 87.03 प्रतिशत मतदान किया गया था, लेकिन श्रीनगर (14.43 प्रतिशत), अनंतनाग (8.98 प्रतिशत), हैदराबाद (44.84 प्रतिशत) और पटना साहिब (45.80 प्रतिशत) जैसी शहरी सीटों पर कम मतदान हुआ था।