भारत में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया क्या है?
चुनाव आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और अगर जरूरत पड़ी तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। इसी तरह 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। इसके अलावा देश में उपराष्ट्रपति का भी निर्वाचन होना और उसके चुनाव अगस्त में हो सकते हैं। आइये जानते हैं देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है और इसकी प्रक्रिया क्या है?
कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति का चुनाव?
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है और उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। उम्मीदवार में लोकसभा सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। उसके पास निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक भी होना जरूरी है। इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों में लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है मतदान?
राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य वोट डालते हैं। इन सभी के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायकों के वोट का मूल्य भी अलग होता है। एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। वहीं, विधायकों के वोट का मूल्य उस राज्य की आबादी (1971 की जनगणना के आधार पर) और सीटों की संख्या पर निर्भर होता है। ऐसे में सभी राज्यों के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है।
कैसे निकाला जाता है विधायक के वोट का मूल्य?
विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए संबंधित राज्य की कुल विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करके गुणनफल का राज्य की कुल आबादी में भाग दिया जाता है। जैसे, उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों को 1,000 से गुणा करने पर 4,03,000 गुणनफल आता है। इसका राज्य की 1971 की आबादी 8,38,49,905 में भाग देने पर एक विधायक के वोट का मूल्य 208.06 आता है। दशमलव में वोट का मूल्य न होने पर इसे 208 किया जाएगा।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने मतदाता होंगे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543, राज्यसभा के 233 सांसद और विधानसभाओं के 4,033 विधायकों सहित कुल 4,809 सदस्य वोट डालेंगे। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 12 मनोनीत सांसदों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया है।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया क्या है?
राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने की प्रक्रिया भी आम चुनाव से अलग होती है। इसमें मतदाताओं को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दिया जाता है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे एक लिखना होता है। इसी तरह दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। आयोग द्वारा दिए गए पैन का इस्तेमाल नहीं करने पर वोट को अमान्य घोषित किया जाता है।
विधायक के वोट का सबसे अधिक और सबसे कम मूल्य?
ऊपर बताए गए सूत्र के आधार पर देश में उत्तर प्रदेश के विधायक के वोट का मूल्य सबसे अधिक 208 है, जबकि सिक्किम में यह सबसे कम आठ है। इसी तरह झारखंड और तमिलनाडु के विधायक के वोट का मूल्य 176, महाराष्ट्र का 175, बिहार का 173, आंध्र प्रदेश का 159 और केरल का मूल्य 152 है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के विधायकों के वोट का मूल्य आठ-आठ और नागालैंड का मूल्य नौ आता है।
कैसे होती है राष्ट्रपति के चुनाव की मतगणना?
इस बार राष्ट्रपति चुनाव में सभी विधायकों के वोटों का मूल्य 5,43,231 और सांसदों के वोटों का मूल्य 5,43,200 होगा। चुनाव में अधिक वोट हासिल करने वाले की जगह निर्धारित कोटे से अधिक वोट हासिल करने वाले की जीत होती है। गणना में सभी वैध वोटों का मूल्य निकाला जाता है। उसे दो से विभाजित करके भागफल में एक जोड़कर कोटा निर्धारित किया जाता है। कोटे से सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है।
क्या है उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने की पात्रता?
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होने के साथ 35 साल की आयु जरूरी है। इसी तरह उसमें राज्यसभा सदस्य होने की पात्रता भी होनी चाहिए। उसके पास इलेक्टोरल कॉलेज के 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक भी होना जरूरी है। इसके अलावा वह केंद्र या राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण में लाभ के पद पर भी नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति के चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा सांसद ही वोट डाल सकते हैं।
क्या है उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया?
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा एक संयुक्त बैठक में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है और यह मतदान पूरी तरह से गोपनीय होता है। नागरिक और विधानसभा के सदस्य सीधे उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं। जीत के लिए 785 में से 393 वोटों की आवश्यकता होती है।