लंदन हाई कोर्ट ने खारिज की विजय माल्या के प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर याचिका
भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए जा चुके कारोबारी विज माल्या को बड़ा झटका लगा है। इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट ने सोमवार को भारत में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया है। किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब माल्या के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय का मामला अब वहां की गृह सचिव प्रीति पटेल के पास जाएगा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस इरविन और एलिजाबेथ लैंग ने दी यह दलील
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस इरविन और एलिजाबेथ लैंग ने कहा, "हम यह मानते हैं कि SDJ यानी सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा पाए गए आरोप कुछ मामलों में भारत की तरफ (CBI और ED) से लगाए गए आरोपों से ज्यादा व्यापक हैं, लेकिन सात ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में संयोगवश आरोप भारत में लगाए गए हैं।" यह सुनवाई ऐसे समय में हुई है जब पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है। सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई।
माल्या की अपील के छह आधार किए खारिज
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दोनों जस्टिस ने माल्या की अपील पर दिए गए छह आधारों को खारिज करते हुए SDJ एम्मा अर्बुथनॉट के फैसले को सही ठहराया। क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) द्वारा भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए भगौड़े शराब करोबारी की धोखाधड़ी के तीन मामलों (बैंकों को झांसा देकर लोने उठाने, लोन राशि का दुरुपयोग करने और लोन वापस मांगने पर गलत व्यवहार) का तर्क देते हुए उसके पत्यर्पण की मांग की।
हाईकोर्ट में दोनों पक्षों के बीच हुई यह दलील
सुनवाई के दौरान माल्या के वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने दलील दी कि माल्या विमानन उद्योग में आई मंदी के कारण व्यापार में लगे घाटे के चलते लोन चुकाने में समर्थ नहीं थे। इस पर CPS के वकील मार्क समर्स ने कहा कि प्रत्यर्पण मामलों में ब्रिटिश अदालत को केवल यह जानने की आवश्यकता है कि क्या किसी व्यक्ति के पास जवाब देने के लिए प्रथम दृष्टया यह पहला मामला है। कोर्ट को लोन की सच्चाई जानने की जरूरत नहीं है।
अपील नहीं करने पर शुरू होगी प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार लंदन की न्यायिक प्रणाली के अनुसार विजय माल्या 14 दिनों के भीतर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। निर्धारित अवधि में अपील नहीं करने पर प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
गत 10 अप्रैल को हाईकोर्ट ने माल्या को दी थी राहत
इससे पहले गत 10 अप्रैल को माल्या को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने SBI के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें उसे दिवालिया घोषित करने की मांग की गई थी ताकि उससे तकरीबन 1.145 अरब पाउंड का कर्ज वसूला जा सकें। उच्च न्यायालय की दिवालिया शाखा के न्यायाधीश माइक ब्रिग्स ने माल्या को भारत में मामलों का निपटारा होने तक समय दिए जाने की बात कही थी।
भारत ने दिसंबर 2018 में की थी माल्या के प्रत्यर्पण की मांग
बता दें कि भारत ने दिसंबर 2018 में माल्या पर साल 2009 में लोन लेने के दौरान अपनी कंपनियों के लाभ में होने की जानबूझकर गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी। इसके बाद पिछले साल जुलाई में ब्रिटेन की एक अदालत ने उन्हें प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी थी। माल्या मार्च 2016 से भारत से फरार हो गया था और वह तब से ही यूनाइटेड किंगडम में रह रहा है।