अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर 90 दिन में मांगी रिपोर्ट, खफा हुआ चीन
पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले खतरनाक कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर रहस्य बना हुआ है। अब अमेरिका ने इससे पर्दा उठाने की ठान ली है। यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसियों से वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के अपने प्रयासों को और अधिक तेज करने तथा 90 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। इससे चीन पूरी तरह से बौखला गया है और अमेरिका पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
चीन के वुहान मे सामने आया था कोरोना संक्रमण का पहला मामला
कोरोना संक्रमण का पहला मामला 2019 के आखिरी दिनों में चीन के वुहान शहर में सामने आया था। उसके बाद यह धीरे-धीरे दुनिया के सभी देशों में पहुंच गया और इसने जमकर तबाही मचाई। यही कारण है कि वर्तमान में दुनियाभर में 16.82 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 34.94 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में अमेरिका, भारत, ब्राजील, फ्रांस, टर्की, रूस, यूनाइटेड किंगडम और इटली सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं।
चीन पर लगे थे वायरस की उत्पत्ति के आरोप
महामारी के दुनियाभर में फैलने के बाद चीन पर लापरवाही से इस वायरस को दुनियाभर में फैलाने के आरोप लगे थे। कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि कोरोना वायरस चमकादड़ पर परीक्षण के दौरान वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक हुआ था। हालांकि, बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम ने जांच के बाद कहा था कि वायरस के किसी लैब से फैलने की आशंका बहुत कम है, लेकिन अभी और शोध की जरूरत है।
अमेरिकी खूफिया एजेंसियों के रिपोर्ट से उछला मुद्दा
हाल ही में अमेरिकी खूफिया एजेंसियों के हवाले से खबर आई थी कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी के तीन सदस्य नवंबर में अस्पताल में भर्ती हुए थे और उनमें कोरोना जैसे लक्षण थे। इसके बाद अमेरिका ने इसकी फिर से जांच की मांग की है।
राष्ट्रपति बाइडन ने खूफिया एजेंसियों को दिया 90 दिन का समय
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि खूफिया एजेंसियां दो संभावनाओं पर पहुंची है, लेकिन ठोस नतीजे नहीं हैं। एजेंसी के दो पक्षों का मानना है कि कोरोना वायरस जानवर से इंसानों में आया, जबकि एक पक्ष का मानना है कि यह लैब से फैला है। अधिकतर का मानना है कि किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए पर्याप्त सूचनाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसियों को अब मामले की जांच को तेज करते हुए 90 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
अमेरिका लगातार चीन पर बनाता रहेगा दबाव
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, "इस प्रयास में हमारी राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं और सरकार की अन्य एजेंसियों के काम भी शामिल होने चाहिए जो खुफिया एजेंसियों के प्रयासों को बढ़ाएं। मैंने एजेंसियों को उनके कार्य से कांग्रेस को अवगत रखने को भी कहा है।" उन्होंने आगे कहा, "अमेरिका दुनियाभर में समान विचार रखने वाले साझेदारों के साथ काम करना जारी रख चीन पर पूर्ण, पारदर्शी एवं साक्ष्य आधारित अंतरराष्ट्रीय जांच में शामिल होने का दबाव बनाता रहेगा।"
अमेरिका के कदम पर खफा हुआ चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति के जांच तेज करने के आदेश के बाद चीन बौखला गया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने कहा कि हो सकता है यह वायरस अमेरिका से फैला हो और इसके लिए अमेरिका को भी अपनी प्रयोगशालाओं को जांच के लिए खोलना चाहिए। उन्होंने कहा चीन ने मामले की जांच में WHO की पूरी मदद की और WHO की अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम 14 जनवरी से 10 फरवरी तक वुहान में गहन जांच कर चुकी है।
वायरस की उत्पत्ति के मामले में राजनीति कर रहा बाइडन प्रशासन- लिजियान
प्रवक्ता लिजियान ने कहा, "बाइडन प्रशासन में कुछ लोग 'तथ्यों' की बात करते हैं मगर हकीकत में वह चीजों को राजनीतिक रूप से तोड़-मरोड़कर पेश करना चाहते हैं। जब भी महामारी का विषय उठता है तो वह चीन पर हमला करने लग जाते हैं।" उन्होंने कहा, "वह वायरस के मूल का पता लगाने की अपनी कोशिशों पर उठते सवालों और महामारी से निपटने में अपनी विफलता को पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं। यह गंभीर मामला है।"
अमेरिका को नहीं है सत्य और तथ्यों की परवाह- लिजियान
प्रवक्ता लिजियान ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन का आदेश दर्शाता है कि अमेरिका को सत्य और तथ्यों की परवाह नहीं है। वह इस बात की गंभीर वैज्ञानिक पड़ताल करने में कोई रुचि नहीं रखते कि आखिर कोरोना की उत्पत्ति कहां से हुई। उन्होंने कहा कि अमेरिका पर बस वायरस के वुहान लैब से लीक होने की थ्योरी की धुन सवार है। उन्होंने WHO के विशेषज्ञों की टीम की ओर से किए गए शोध और विज्ञान का भी अपमान किया है।