पाकिस्तान के रास्ते भारत से व्यापार करना चाहता है तालिबान- स्तानिकजई
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत के साथ कारोबार पर रोक लगा दी थी। इसका भारत में ड्राई फ्रूट्स को लेकर होने वाला कारोबार खासा प्रभावित हुआ था। इसी बीच अब तालिबान ने भारत को अहम देश बताते हुए कहा कि अफगानिस्तान व्यापार और आर्थिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के साथ पहले की तरह संबंध रखना चाहता है। उसने कहा कि वह पाकिस्तान के रास्ते भारत के साथ व्यापार को आगे बढ़ाना चाहता है।
भारत के साथ पहले की तरह रखना चाहते हैं रिश्ते- स्तानिकजई
तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शनिवार को अपलोड किए गए 46 मिनट के एक वीडियो में कहा, "इस महाद्वीप के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण है। हम भारत के साथ सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यापारिक रिश्ता पहले की तरह रखना चाहते हैं।" उन्होंने अफगानिस्तान में जंग के खात्मे और शरिया आधारित इस्लामिक शासन पर विस्तार से अपनी योजना की जानकारी दी। इसी तरह उन्होंने अन्य देशों से रिश्तों पर भी अपनी राय रखी।
पाकिस्तान के रास्ते भारत से व्यापार है बहुत अहम- स्तानिकजई
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तानी मीडिया चैनलों पर भारत के साथ संबंध को लेकर संगठन का नजरिया बताया है। हालांकि, स्तानिकजई पहले वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने दूसरे देशों के साथ रिश्तों को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के जरिए भारत के साथ व्यापार बहुत अहम है। भारत के साथ वायुमार्ग से भी व्यापार बना रहेगा। हालांकि, उन्होंने दोतरफा व्यापार पर कुछ नहीं कहा।
"भारत के साथ कारोबार को लेकर हैं आशावादी"
स्तानिकजई ने कहा, "हम भारत के साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते को अहमियत देते हैं और हम भारत के साथ काम करने को लेकर आशावादी हैं।" उन्होंने तुर्केमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान और भारत (TAPI) गैस पाइपलाइन प्रॉजेक्ट का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार बनने के बाद इस पर काम किया जाएगा। उन्होंने भारत की ओर से विकसित किए गए चाबहार बंदरगाह का जिक्र किया और व्यापार के लिए उसका महत्व भी बताया।
अफगान शरणार्थियों को शरण देने के लिए जताया पाकिस्तान का आभार
स्तानिकजई ने चीन, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान और रूस के साथ संबंधों पर भी अपनी बात कही। उन्होंने लाखों अफगान शरणार्थियों को शरण देने के लिए पाकिस्तान का आभार जताया और कहा कि तालिबान पाकिस्तान के साथ भाईचारे वाला रिश्ता चाहता है। बता दें कि स्तानिकजई ने तालिबान पर कब्जे के बाद भारतीय पक्ष से संपर्क साधा था और नई दिल्ली से अपील की थी कि काबुल में राजनयिक मौजूदगी बनाए रखें।
तालिबान ने 15 अगस्त को किया अफगानिस्तान पर कब्जा
तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिए थे और गत 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जा जमा लिया था। उसके बाद से ही तालिबान नई सरकार के गठन में लगा हुआ है। तालिबान के शासन के कारण हजारों अफगानी लोग देश छोड़कर जाने की जुगत में जुटे हैं और काबुल हवाई अड्डे के बाहर डेरा जमाए हुए हैं। तालिबान लगातार देशों से खुद का मान्यता देने की कहा रहा है।