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    अफगानिस्तान: अमेरिका के कौन से हथियार और सैन्य उपकरण तालिबान के कब्जे में आए हैं?

    अफगानिस्तान: अमेरिका के कौन से हथियार और सैन्य उपकरण तालिबान के कब्जे में आए हैं?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Aug 29, 2021, 02:46 pm 1 मिनट में पढ़ें
    अफगानिस्तान: अमेरिका के कौन से हथियार और सैन्य उपकरण तालिबान के कब्जे में आए हैं?
    अमेरिका के कौन से हथियार और सैन्य उपकरण तालिबान के कब्जे में आए हैं?

    हालिया दिनों में तालिबानी लड़ाकों की जिन तस्वीरों ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, उनमें वो अमेरिका सैन्य वाहनों और सैन्य उपकरणों के साथ नजर आ रहे हैं। दरअसल, अफगानिस्तान में अमेरिका का सैन्य अभियान 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है और वह अरबों की कीमत का सैन्य साजो-सामान अफगानिस्तान में छोड़कर जा रहा है। आइये एक नजर डालते हैं कि अमेरिका और अफगान सेना के कितने वाहन और हथियार तालिबान के हाथ लगे हैं।

    अफगान एयरफोर्स के पास थे 167 एयरक्राफ्ट

    BBC की रिपोर्ट के अनुसार, जून के अंत तक अफगान एयरफोर्स के पास हेलिकॉप्टर और विमानों समेत 167 एयरक्राफ्ट थे। इनमें Mi-17 हेलिकॉप्टर से लेकर C-130 हरक्युलस विमान तक शामिल थे। अभी तक साफ-साफ जानकारी नहीं मिल पाई है कि इनमें से तालिबान ने कितनों पर कब्जा किया है। ऐसी खबरें हैं कि तालिबान के कब्जे से पहले कई हेलिकॉप्टर दूसरे देशों में पहुंच गए थे। दो दर्जन से अधिक हेलिकॉप्टर और विमान उजबेकिस्तान में देखे गए हैं।

    अफगानिस्तान में लाखों हथियार लाई थीं अमेरिकी सेना

    2001 में हुए आतंकी हमले के बाद से अमेरिका की तालिबान के खिलाफ लड़ाई जारी थी। इस लड़ाई को धार देने के लिए अमेरिका 2003 से 2016 के बीच अफगानिस्तान में लाखों की संख्या में हथियार लाया था। अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट कहती है कि इन 13 सालों में अलग-अलग कंपनियों की 3.58 लाख राइफलें, 64,000 से अधिक मशीन गन, 25,000 से अधिक ग्रेनेड लॉन्चर और 22,000 से अधिक हमवी (एक तरह की बख्तरबंद गाड़ियां) अफगानिस्तान पहुंची थीं।

    2014 के बाद से अफगान सेना को मिले हैं नए हथियार और उपकरण

    2014 में अफगान सेना को देश की सुरक्षा का काम सौंपा गया था। उसके पास मौजूद पुराने हथियारों को बदलते हुए अमेरिका ने उसे नए हथियार और उपकरण मुहैया करवाए थे। स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन (Sigar) की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका ने 2017 में अफगान सेना को 20,000 M16 राइफलें दी थीं। 2017 से 2021 के बीच के सालों में करीब 3,500 M4 राइफलें और 3,012 हमवी और दूसरे उपकरण अफगान सेना को दिए गए।

    तालिबान के कब्जे में आ गए हैं सारे हथियार और वाहन

    अमेरिका ने अफगान सेना को 30 से अधिक मोबाइल स्ट्राइक फोर्स व्हीकल भी दिए थे। इन्हें छोटे नोटिस पर तैनाती के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इनमें सैनिक और हथियार दोनों ले जाए जा सकते हैं। अफगान सेना के मैदान छोड़कर भागने और अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इन सारे हथियारों, विमानों, वाहनों और उपकरणों पर तालिबान का नियंत्रण हो गया है। अब उसके लड़ाके हमवी पर सवार होकर काबुल की सड़कों पर घूमते देखे जा सकते हैं।

    तालिबान इन हथियारों से क्या करेगा?

    अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पूर्व सलाहकार डॉ जॉनाथन शरोडन ने कहा कि तालिबान के लिए विमानों पर कब्जा करना आसान है, लेकिन इनका संचालन और मरम्मत मुश्किल काम होने वाला है। इनके पुर्जों को अकसर मरम्मत और कई बार बदलने की जरूरत होती है। इनमें से अधिकतर की मरम्मत और देखरेख का काम अमेरिकी निजी ठेकेदार संभालते थे और वो तालिबान के आने से पहले ही अफगानिस्तान छोड़कर जा चुके हैं।

    विमान उड़ाने के लिए पायलटों पर दबाव बना सकता है तालिबान

    अफगानिस्तान में काम कर चुकीं US एयरफोर्स वेटरन और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जोडी विट्टोरी कहती हैं कि तालिबान के पास विमानों के संचालन का अनुभव नहीं है तो फिलहाल इससे कोई खतरा नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा इन विमानों को नष्ट किया जा सकता था। वहीं एक विशेषज्ञ जेसम कैंपबेल कहते हैं कि तालिबान इन विमानों को उड़ाने के लिए अफगान पायलटों पर दबाव बना सकता है, लेकिन यह रणनीति लंबे समय तक काम नहीं आएगी।

    अफगानिस्तान के बाहर भी होगा असर

    विमानों को छोड़कर बाकी हथियार तालिबान के लिए नए नहीं होंगे। तालिबान के हाथों में ऐसे आधुनिक हथियार आना विशेषज्ञ बड़ी असफलता मान रहे हैं। उनका कहना है कि इसका असर सिर्फ अफगानिस्तान में नहीं होगा। इनकी कालाबाजारी हो सकती है और दुनिया में दूसरी जगहों पर विद्रोही ताकतों को बढ़ाने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। विट्टोरी ने कहा कि पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे देशों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है।

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