अफगानिस्तान: तालिबान के साथ पाकिस्तानी रुपये में व्यापार करेगा पाकिस्तान, अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की कोशिश
पाकिस्तान ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ पाकिस्तानी रुपये में द्विपक्षीय व्यापार करेगा। अभी तक यह व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता था और इस कारण अफगान मुद्रा भी मजबूत बनी हुई थी। अब पाकिस्तान के इस कदम से अफगान मुद्रा के कमजोर होने और पाकिस्तानी रुपये के मजबूत होने की आशंका जताई जा रही है। इसे पाकिस्तान की अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
पाकिस्तान पर निर्भर हो जाएगी अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था
सूत्रों ने न्यूज 18 को बताया कि पाकिस्तान के साथ पाकिस्तानी रुपये में व्यापार शुरू होने के बाद अफगानिस्तान का सारा कारोबार और व्यापार पाकिस्तानी रुपये की स्थिति और उसकी अर्थव्यवस्था के हाल पर निर्भर करेगा। तालिबान को अपने ड्रग्स भी केवल पाकिस्तान भेजने को मजबूर होना पड़ेगा। इस कदम से अफगानिस्तान के व्यापारियों और कारोबारी समुदाय पर भी पाकिस्तान का भारी प्रभाव हो जाएगा और वे पाकिस्तानी मुद्रा पर निर्भर हो जाएंगे।
तालिबान सरकार के निर्माण में तालिबान ने निभाई है अहम भूमिका
बता दें कि पाकिस्तान अफगानिस्तान की सेना और सरकार में पहले ही घुसपैठ कर चुका है। तालिबान की सरकार के गठन से पहले ISI प्रमुख हामिद फैज काबुल आए थे और उनके इशारे पर ही सरकार में आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क को सरकार में अहम भूमिका दी गई है। हक्कानी नेटवर्क ISI के इशारों पर चलता है। इसके अलावा पाकिस्तान ने पंजशीर में दाखिल होने में तालिबान की मदद भी की है।
पाकिस्तान के दखल का विरोध कर रहे हैं अफगानी लोग
अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान के इस खुलेआम दखल का विरोध भी हो रहा है और पिछले कुछ दिन से देश के कई शहरों में बड़े पैमाने पर तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजशीर में पाकिस्तान के हवाई हमलों के बाद शुरू हुए इन प्रदर्शनों में हजारों पुरुष और महिलाएं शामिल हुए हैं और पाकिस्तान मुर्दाबाद, आजादी और सपोर्ट पंजशीर जैसे नारे लगाए। तालिबान की फायरिंग में एक युवक की मौत भी हुई है।
तालिबान ने प्रदर्शनों पर लगाई कई शर्तें, पहले से लेनी होगी अनुमति
अपने विरोध को रोकने के लिए तालिबान ने प्रदर्शनों पर कई शर्तें लागू कर दी हैं। नए नियमों के तहत प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन करने से पहले न्याय मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन का मकसद, नारे, स्थान और समय जैसी अन्य जानकारियां भी प्रदर्शन से 24 घंटे पहले तालिबान प्रशासन को बतानी होंगी। तालिबान के अनुसार, जिसने भी इन नियमों का उल्लंघन किया, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हमेशा से तालिबान का समर्थक रहा है पाकिस्तान
बता दें कि अफगानिस्तान और अमेरिका के साथ सालों से जारी युद्ध में पाकिस्तान ने हमेशा तालिबान का समर्थन किया है। तालिबान ने लगातार पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बताया है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने तो यह भी कहा था कि पाकिस्तान नए तालिबान प्रशासन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसी तरह पाकिस्तान के एक केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान तालिबान का 'संरक्षक' रहा है और लंबे वक्त तक उसकी देखभाल की है।