
ट्रंप ने किया 'गोल्डन डोम' मिसाइल रक्षा प्रणाली का एलान, अंतरिक्ष में तैनात होंगे अमेरिकी हथियार
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'गोल्डन डोम' नामक नई मिसाइल रक्षा प्रणाली की घोषणा की है।
यह एक बड़ी योजना है, जिसकी कुल लागत करीब 15,000 अरब रुपये बताई गई है।
ट्रंप ने ओवल ऑफिस से संबोधन में करते हुए बताया कि यह योजना उनके कार्यकाल के अंत तक पूरी तरह सक्रिय हो जाएगी।
यह पहली बार है जब अमेरिका अंतरिक्ष में हथियार तैनात करने की ओर बढ़ रहा है। इससे दुश्मन की मिसाइलों को तुरंत रोका जा सकेगा।
गोल्डन डोम
गोल्डन डोम क्या है?
गोल्डन डोम एक उन्नत मिसाइल सुरक्षा प्रणाली है, जो इजरायल की आयरन डोम से प्रेरित है।
यह सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों को लॉन्च के समय से लेकर उनके प्रभाव तक पहचान कर उन्हें रोकने का काम करेगी। इसमें अंतरिक्ष में मौजूद सेंसर और इंटरसेप्टर शामिल होंगे, जो वैश्विक स्तर पर सुरक्षा कवच तैयार करेंगे।
ट्रंप ने इसे 'अत्याधुनिक' प्रणाली बताया है, जो किसी भी कोने से दागी गई मिसाइल को रोकने में सक्षम होगी।
खासियत
सिस्टम की मुख्य खासियतें क्या हैं?
गोल्डन डोम की सबसे खास बात यह है कि यह अंतरिक्ष से संचालित होगी और पूरी दुनिया को कवर करेगी।
इसमें इतनी क्षमता होगी कि वह तुरंत प्रतिक्रिया दे सके और मिसाइल को बीच में ही खत्म कर दे। यह दुश्मन के हमले को काफी पहले ही पहचान लेगी और सही समय पर कार्रवाई करेगी।
ट्रंप का दावा है कि यह दुनिया की सबसे आधुनिक और तेज रक्षात्मक प्रणाली बन जाएगी, जो हर खतरों का जवाब देने में सक्षम होगी।
खर्च
निर्माण की जगह और लागत
गोल्डन डोम का निर्माण पूरी तरह अमेरिका में ही किया जाएगा। इसके लिए जॉर्जिया, अलास्का, फ्लोरिडा और इंडियाना में विशेष निर्माण केंद्र बनाए जाएंगे।
ट्रंप ने शुरुआत के लिए लगभग 2,100 अरब रुपये मंजूर किए हैं, लेकिन पूरी लागत करीब 15,000 अरब रुपये तक जा सकती है।
हालांकि, कुछ अधिकारियों का मानना है कि अकेले अंतरिक्ष तकनीक पर ही लगभग 46,000 अरब रुपये से ज्यादा खर्च हो सकता है।
अभी तक इस परियोजना को कोई आधिकारिक फंडिंग नहीं मिली है।
अन्य
वैश्विक खतरे और अन्य जानकारी
यह योजना रूस और चीन जैसे देशों की बढ़ती अंतरिक्ष और हाइपरसोनिक क्षमताओं को देखते हुए लाई गई है। दोनों देश पहले ही ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं, जो दुश्मन की सेटेलाइट्स को निष्क्रिय कर सकती हैं।
ट्रंप ने बताया कि कनाडा भी इस योजना में शामिल होने की इच्छा दिखा चुका है।
हालांकि, वायु सेना सचिव ने कहा कि यह योजना अभी शुरुआती विचार के स्तर पर है और इसे लागू करने में समय लग सकता है।