
कौन-कौन से देश चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुके हैं अपना मिशन?
क्या है खबर?
नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसी दुनिया की कई अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा पर शोध के लिए अब तक कई मिशन लॉन्च कर चुकी हैं।
भारत और अमेरिका जैसे दुनिया के अन्य देश भविष्य में भी कई महत्वपूर्ण मिशन चंद्रमा पर भेजने वाले हैं। चंद्रमा के रहस्यों को जानने के लिए देशों की यह होड़ लगातार तेज होती जा रही है।
आइए जानते हैं कि अब तक कौन-कौन से देश चंद्रमा पर सफलतापूर्वक अपना मिशन भेज चुके हैं।
सोवियत संघ
सोवियत संघ ने सबसे पहले दिखाया रास्ता
चंद्रमा पर सफलतापूर्वक मिशन भेजने वाला पहला देश सोवियत संघ (रूस) था।
साल 1959 में सोवियत संघ ने 'लूना 2' मिशन के जरिए पहली बार चंद्रमा की सतह पर किसी मानव निर्मित वस्तु को टकराया था। इसके बाद 'लूना 9' मिशन ने 1966 में पहली बार चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा।
सोवियत संघ के शुरुआती मिशनों ने चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने की दिशा में रास्ता खोला।
अमेरिका
अमेरिका ने रचा चंद्रमा पर उतरने का इतिहास
अमेरिका ने चंद्रमा मिशनों की दौड़ में नया इतिहास बनाया। साल 1969 में अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 'अपोलो 11' मिशन के तहत पहली बार इंसान चंद्रमा की सतह पर उतरा।
नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन जैसे अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा पर कदम रखकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया।
अमेरिका ने बाद में भी कई सारे महत्वपूर्ण मिशन भेजे और चंद्रमा पर मानवयुक्त अभियानों में सबसे ज्यादा सफलताएं हासिल कीं।
चीन
चीन ने चंद्रमा पर अपनी ताकत दिखाई
चीन ने भी चंद्रमा मिशनों में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है। साल 2013 में चीन के 'चांग'ई-3' मिशन ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी।
इसके बाद चीन ने चांग'ई-4 और चांग'ई-5 जैसे मिशनों के जरिए चंद्रमा के दूरस्थ हिस्सों और नमूनों को वापस लाने जैसे मुश्किल काम भी किए।
चीन अब चंद्रमा पर मानव भेजने और वहां अपना बेस स्थापित करने की योजना भी बना रहा है।
भारत
भारत और जापान ने भी दिखाया कमाल
भारत ने 2023 में 'चंद्रयान-3' मिशन के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। इससे पहले भारत ने चंद्रयान-1 से चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का सबूत भी खोजा था।
जापान ने भी 2024 में 'स्लिम' मिशन के जरिए बेहद सटीक सॉफ्ट लैंडिंग की। इन देशों की सफलता ने दिखा दिया कि चंद्रमा मिशन सिर्फ बड़े देशों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि नई तकनीक के साथ और देश भी इसमें आगे आ रहे हैं।