ये देश दे चुके हैं फाइजर की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी, तीन में इस्तेमाल शुरू
कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया को अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने प्रभावी वैक्सीन तैयार करने का दावा कर राहत दी है। कंपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी लेने के लिए विभिन्न देशों में आवेदन कर रही है और उसे मंजूरी भी मिलने लगी है। सोमवार को सिंगापुर की मंजूरी के साथ ही इसे अब तक सात देशों की मंजूरी मिल चुकी है। चलिए जानते हैं कि इस वैक्सीन को किन-किन देशों में मंजूरी मिल चुकी है।
95 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है फाइजर की वैक्सीन
फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोनटेक ने पिछले महीने कहा था कि इंसानी ट्रायल के तीसरे चरण के अंतिम विश्लेषण में उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत असरदार पाई गई है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा था कि वैक्सीन सभी सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। विश्लेषण में ये हर उम्र के लोगों पर कारगर पाई गई है। किसी भी वॉलेंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली है। ऐसे में इसका आपातकालीन उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले UK ने दी थी फाइजर को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
बता दें कि फाइजर ने 21 नवंबर को अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया था। आवेदन की समीक्षा के बाद 3 दिसंबर को UK ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही UK ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। यहां 8 दिसंबर से ही स्वास्थ्यकर्मियों और अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा रही है।
वैक्सीन को आपात मंजूरी देने वाला दूसरा देश था बहरीन
UK में मंजूरी मिलने के दो दिन बाद यानी 5 दिसंबर को बहरीन ने भी इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी थी। फाइजर ने यहां 25 नवंबर को आवेदन किया था। देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने उपलब्ध आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद देश में वैक्सीन के आपात उपयोग की मंजूरी दी थी, हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने कितनी खुराक का ऑर्डर दिया है और इसका इस्तेमाल कब से शुरू होगा।
कनाड़ा ने 8 दिसंबर को दी थी मंजूरी
फाइजर ने 27 नवंबर को कनाडा में भी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया था। कनाडा के स्वास्थ्य विभाग ने आवेदन के साथ प्रस्तुत किए गए डाटा का अध्ययन करने के बाद 8 दिसंबर को वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी थी। इस दौरान प्रधामंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उन्हें इस महीने वैक्सीन की 2,49,000 खुराकें मिलेंगी। देश में इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है।
सऊदी अरब ने 9 दिसंबर को दी मंजूरी
कनाडा से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के एक दिन बाद यानी 10 दिसंबर को सऊदी अरब ने भी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दे दी थी। वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना था। सऊदी अरब की फूड एंड ड्रग एजेंसी ने वैक्सीन का पंजीकरण किया था। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि वैक्सीन के आयात और इस्तेमाल के लिए जरूरी प्रक्रियाएं जल्द शुरू की जाएंगी।
वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पांचवां देश बना था अमेरिका
12 दिसंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने भी फाइजर की वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी थी। वह ऐसा करने वाला दुनिया का पांचवां देश बना था। देश में सोमवार से इसका आपातकालीन उपयोग शुरू भी हो गया है। अमेरिका वैक्सीन का उपयोग शुरू करने वाला दूसरा देश है। बता दें कि अमेरिका ने फाइजर की वैक्सीन पर भरोसा जताते हुए जुलाई में ही 10 करोड़ खुराकों का ऑर्डर दे दिया था।
मेक्सिको ने भी दी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
अमेरिका के वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने के बाद मेक्सिको सरकार ने भी उसी दिन इसे आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी थी। वह ऐसा करने वाला दुनिया का छठा देश बना था। देश के सहायक विदेश मंत्री ह्यूगो लोपेज गाटेल ने कहा था कि देश के 1.25 लाख लोगों पर उपयोग के लिए उन्होंने 2.5 लाख खुराकों का ऑर्डर किया है। टीकाकरण अभियान अगले सप्ताह शुरू किया जाएगा।
सिंगापुर ने सोमवार को दी वैक्सीन को मंजूरी
सोमवार को सिंगापुर सरकार ने भी फाइजर को वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी। वह ऐसा करने वाला दुनिया का सातवां देश बना है। मंजूरी देने के बाद प्रधानमंत्री ली ली सीन लूंग ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के साथ यह बहुत मुश्किल समय रहा है, लेकिन अब वे 28 दिसंबर से तीन चरणों में फाइजर की वैक्सीन का आपातकालीन उपयोग शुरू करेंगे। इसके अलावा 2021 तक 57 लाख लोगों को टीके लगाए जाएंगे। टीकाकरण स्वैच्छिक होगा।
दुनिया में यह है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति
दुनियाभर में लगभग 7.22 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 16.12 लाख की मौत हुई है। अमेरिका में 1.62 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है। भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है।