#NewsBytesExplainer: अफगानिस्तान के दूतावास पर नियंत्रण को लेकर तालिबान और राजदूत के बीच क्या विवाद है?
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास के प्रमुख को लेकर विवाद छिड़ गया है। अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने मोहम्मद कादिर शाह को दूतावास का चार्ज डी अफेयर्स नियुक्त किया है, जबकि मौजूदा राजदूत फरीद मामुन्दजई ने इन दावों को खारिज करते हुए इन्हें भ्रामक बताया है। भारत सरकार ने अभी तक इस मामले को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है। आइए समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
क्या है पूरा मामला?
तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान के 14 दूतावासों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए खुद के अधिकारियों को प्रमुख बनाया है। इसी क्रम में दिल्ली में स्थित अफगानी दूतावास के प्रमुख को भी बदलने की कोशिश हो रही है। बतौर रिपोर्ट्स, अफगानी दूतावास को शाह को चार्ज डी अफेयर्स नियुक्त करने से संबंधित तालिबान सरकार का ई-मेल प्राप्त भी हुआ था। तालिबान सरकार पहले भी विभिन्न संबंधों को लेकर ई-मेल भेज चुकी है, जिसे दूतावास हमेशा नजरअंदाज करता रहा है।
मौजूदा राजदूत ने क्या कहा?
दूतावास को तालिबान सरकार का ई-मेल मिलने के समय मौजूदा राजदूत मामुन्दजई लंदन गए हुए थे, जहां उनका परिवार निर्वासित है। मामुन्दजई ने दिल्ली लौटने के बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और शाह को दूतावास की सेवाओं से निलंबित करते हुए उनके दूतावास में आने पर पाबंदी लगा दी। उन्होंने अन्य देशों की राजधानियों में तैनात अफगानिस्तान के अन्य राजदूतों के साथ वर्चुअल बैठक भी की। ये राजदूत खुद को अभी भी अफगानिस्तान गणराज्य का प्रतिनिधि मानते हैं।
दूतावास ने मामले पर क्या कहा?
अफगानी दूतावास ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह तालिबान के इशारे पर दिल्ली में अफगानी मिशन की कमान संभालने का दावा करने वाले व्यक्ति की दावेदारी को स्पष्ट रूप से खारिज करता है। दूतावास ने कहा कि चार्ज डी अफेयर्स की दावेदारी पेश करने वाला यह व्यक्ति किसी अहस्ताक्षरित पत्र के आधार पर दूतावास के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मनगढ़ंत आरोप लगाकर गलत और निराधार सूचना फैलाने का अभियान चला रहा है।
शाह ने मामले पर क्या कहा?
शाह ने कहा कि उन्होंने कुछ भी अवैध नहीं किया है और मामुन्दजई दूतावास में जारी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए मामले का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल या आंदोलन से संबद्ध नहीं हैं और सिर्फ एक नौकरशाह हैं। उन्होंने कहा कि काबुल में स्थित विदेश मंत्रालय ने मामुन्दजई के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिए चार्ज डी अफेयर्स नियुक्त करने का निर्णय लिया होगा।
कौन हैं शाह?
अफगानी दूतावास में मामुन्दजई के सहकर्मी शाह वाणिज्य के प्रभारी काउंसलर के पद पर तैनात हैं। शाह भारत द्वारा अफगानिस्तान को गेहूं और दवाओं की मानवीय सहायता भेजने में भी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं और कई मामलों में भारतीय विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर चुके हैं। बतौर रिपोर्ट्स, शाह उन्हें चार्ज डी अफेयर्स नियुक्त किए जाने की जानकारी भी भारतीय विदेश मंत्रालय को दे चुके हैं।
भारत का मामले पर क्या रुख?
भारतीय विदेश मंत्रालय अफगानी दूतावास की इस अंदरूनी कलह पर नजर रखे हुए है, लेकिन उसने अब तक किसी का पक्ष नहीं लिया है। बतौर रिपोर्ट्स, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने दोनों पक्षों को बता दिया है कि यह उनका आंतरिक मामला है, जिसे उन्हें खुद ही निपटाने की जरूरत है। इससे एक संकेत के तौर पर देखा जा सकता है कि भारत सरकार तालिबान द्वारा नियुक्त किए गए राजनयिक के नाम पर भी खुलकर विचार कर सकती है।
क्या तालिबान द्वारा नामित शख्स को मान्यता देगा भारत?
भारत ने अफगानिस्तान को मदद भेजना जारी रखने के बावजूद अब तक अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। यदि भारत सरकार तालिबान द्वारा नामित किए गए शाह को अफगानिस्तान के राजदूत के रूप में मान्यता प्रदान कर देता है तो वह एक तरीके से किसी आतंकी संगठन के नुमाइंदे को मान्यता देगा। मान्यता नहीं देने की स्थिति में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में स्थित भारतीय दूतावास की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
तालिबान ने अगस्त, 2021 में 20 साल बाद दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कई देशों ने अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए विशेष अभियान चलाया था। तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सरकार का भी गठन किया था और देश का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान कर दिया था। तालिबान के मौजूदा प्रमुख हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान सरकार के प्रमुख के साथ-साथ अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता भी घोषित किया गया था।