तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान छोड़ने वालीं महिला सांसद अब कहां हैं?
क्या है खबर?
अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां की अधिकतर महिला सांसद देश छोड़कर विदेशों में चली गई हैं।
69 महिला सांसदों में से करीब 60 फिलहाल दुनिया के अलग-अलग देशों में हैं, लेकिन अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखना चाहती हैं।
दरअसल, तालिबान ने सत्ता में आते ही महिलाओं के अधिकार सीमित कर दिए हैं और उन्हें काम करने से रोक दिया गया है।
जानकारी
सबसे ज्यादा सांसदों ने यूरोपीय देशों में ली शरण
BBC ने पता लगाया है कि 69 महिला सांसदों में से नौ अभी भी अफगानिस्तान में हैं और बाकी निकासी अभियान और उसके बाद विदेशों में पहुंच गईं।
अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाली सांसदों में से सबसे 22 ने ग्रीस, नौ-नौ ने तुर्की और एल्बेनिया, आठ ने अमेरिका और 12 ने अन्य देशों में शरण ली हैं।
इनमें से कुछ वापस अपने देश लौटना चाहती हैं तो कुछ बाहर से ही तालिबान पर दबाव बनाने की योजना तैयार कर रही हैं।
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'निर्वासन में महिला सांसद' बनाने पर विचार
रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल विदेशों में रह रही सांसदों में से कुछ ने 'निर्वासन में महिला संसद' बनाने का विचार किया है ताकि अफगानिस्तान में हो रहे अत्याचारों की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके।
अफगानिस्तान में संसद में चुने जाने से पहले कनाडा में राजदूत रहीं शिंकाई कारोखैल इस विचार की समर्थक हैं।
तालिबान के कब्जे के बारे में उन्होंने बताया, "मैंने सुबह अपना प्रांत खोया और दोपहर में राष्ट्रपति। अब मुझे कुछ भी अचंभित नहीं करता।"
बयान
"महिला सांसदों को भुलाने होंगे आपसी मतभेद"
अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए लाए गए कानून के पीछे अहम भूमिका निभाने वालीं शिंकाई कहती हैं कि अगर महिला सांसदों को कुछ हासिल करना है तो उन्हें आपसी मतभेद भुलाने होंगे।
उन्होंने कहा, "हर सांसद अलग-अलग प्राथमिकता और राजनीतिक हित के साथ अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन अब हमने सब कुछ गंवा दिया है। अब केवल देश को बचाना और महिलाओं की आवाज को समर्थन देना मायने रखता है।"
अफगानिस्तान
बदलाव के काम जारी रखना चाहती हैं सांसद
तालिबानी कब्जे के तीन महीने बाद तक अंडरग्राउंड रहकर ईरान के रास्ते तुर्की पहुंची एक महिला सांसद ने बताया कि वो बदलाव के लिए काम करना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि वो तुर्की में ज्यादा समय नहीं रुकना चाहती क्योंकि यहां की सरकार उसे राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रहने देगी। वो दुनिया को बताना चाहती है कि तालिबानी राज में अफगान महिलाओं और लड़कियों को किस तरह के जुल्म सहने पड़ रहे हैं।