हिंसा के चलते पिछले साल भारत को हुआ 50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
भारत में हिंसा के कारण बीते साल 646 बिलियन डॉलर (लगभग 50 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। यह इतना पैसा है कि इससे बजट के कई खर्चे और कई कल्याणकारी योजनाओं का खर्च निकल जाता। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6 प्रतिशत हिस्सा है। ग्लोबल पीस इंडेक्स (GPI) से यह जानकारी मिली है। GPI की रैंकिंग में भारत को 72वां स्थान मिला है, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान 54वें, जबकि चीन 138वें स्थान पर है।
दुनियाभर में कितना नुकसान?
GPI की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में हिंसा के चलते 16.5 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 1,300 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। सीरिया, दक्षिण सुडान और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक ने हिंसा के चलते सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान झेला है। दक्षिण एशिया की बात करें तो यह दूसरा सबसे शांतिपूर्ण इलाका बना रहा, लेकिन यहां शांति में सबसे ज्यादा इजाफा देखा गया है। इसकी वजह यहां पहले से जारी संघर्षों की स्थिति में आया सुधार रहा है।
भारत में क्या रही स्थिति?
पिछले कुछ सालों में भारत में सरकारी नीतियों के खिलाफ कई लंबे प्रदर्शन हुए हैं। कुछ प्रदर्शन तो कई महीनों चले हैं। इसके अलावा नक्सली गतिविधियों में इजाफा और मुंबई समेत कई बड़े शहरों में बम धमाकों आदि की घटनाएं हुई हैं। इन सबके बीच शहरों में कर्फ्यू और इंटरनेट शटडाउन भी रहे। इन सब घटनाओं में जान के नुकसान के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हुआ है, जिसकी कीमत लगभग 50 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है।
ये हैं सबसे अधिक और कम प्रभावित देश
हिंसा के कारण सीरिया, दक्षिण सुडान और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ है, वहीं आइसलैंड, कोसोवो और स्विट्जरलैंड में सबसे कम नुकसान हुआ है। सबसे कम प्रभावित देशों में हिंसा के चलते उनकी GDP का केवल दो प्रतिशत हिस्सा ही प्रभावित हुआ है। वहीं शीर्ष प्रभावित 10 देशों को मिला लिया जाए तो यहां हुआ नुकसान वैश्विक GDP का 34 प्रतिशत है। इससे अंदाजा लग सकता है कि हिंसा कितनी महंगी पड़ती है।
औसत वैश्विक शांति के स्तर में आई गिरावट
रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा के चलते होने वाला आर्थिक नुकसान 2021 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस ट्रेंड को बदलने की जरूरत है। जिन देशों ने इस ट्रेंड को बदला है, वहां उन्हें आर्थिक फायदा देखने को मिला है। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि औसत वैश्विक शांति के स्तर पर पिछले साल 0.3 प्रतिशत गिरावट आई है और यह गिरकर पिछले 15 सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
इन देशों में शांति को सबसे ज्यादा नुकसान
पिछले साल रूस और यूक्रेन, दो ऐसे देश रहा, जहां शांति के स्तर में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। इनके अलावा गिनिया, बुर्किना फासो और हैती को इस सूची में जगह मिली है। यहां चल रहे आंतरिक संघर्षों और युद्ध के कारण हिंसा बढ़ी है। वहीं सबसे अशांत देश की बात करें तो अफगानिस्तान लगातार पांचवें साल इस सूची में सबसे ऊपर रहा। अफगानिस्तान के बाद यमन, सीरिया, रूस और दक्षिण सुडान में सबसे ज्यादा हिंसा देखने को मिली।