
पोप फ्रांसिस का वेटिकन सिटी में हुआ अंतिम संस्कार, लाखों लोगों ने दी विदाई
क्या है खबर?
कैथोलिक ईसाईयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वायर में अंतिम संस्कार किया गया।
इस दौरान करीब ढाई लाख लोग मौजूद रहे और 70 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों और राष्ट्राध्यक्षों ने पोप को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी अंतिम संस्कार में शामिल हुईं। पोप के निधन पर राजकीय शोक में भारत का झंडा भी आज झुका हुआ रहा।
नेता
डोनाल्ड ट्रंप समेत ये वैश्विक नेता हुए शामिल
पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम, ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा समेत कई वैश्विक नेताओं और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
अंतिम संस्कार में शख्सियतों के जुटान को देखते हुए वेटिकन और रोम में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। इटालियन पुलिस और वेटिकन के स्विस गार्ड तैनात किए गए हैं।
कब्र
सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका में दफनाए गए पोप
पोप को सेंट पीटर्स स्क्वायर से करीब 4 किलोमीटर दूर मारिया मैगियोरे बेसिलिका में दफनाया गया। वे बीते 100 सालों में पहले ऐसे पोप हैं, जिन्हें वेटिकन के बाहर दफनाया गया है।
आमतौर पर पोप को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे दफनाया जाता है। हालांकि, पोप फ्रांसिस ने सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका में दफनाए जाने की इच्छा व्यक्त की थी।
यहां पहले से 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है।
खास बातें
पोप फ्रांसिस से जुड़ी खास बातें
पोप फ्रांसिस का नाम जॉर्ज मारियो बेरगोलिया था। वे 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना में पैदा हुए थे।
पोप बनने से पहले उन्होंने एक क्लब में बतौर बाउंसर और केमिकल टेक्नीशियन काम किया था।
वे बीते 1,000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय शख्स थे।
वे सोसाइटी ऑफ जीसस के सदस्य और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे।
वे 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे।
निधन
21 अप्रैल को हुआ था निधन
21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया था।
उन्हें 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे कई दिनों से फेफड़ों और किडनी में गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे। खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम पाए जाने क बाद उन्हें खून भी चढ़ाया गया था।
निधन से एक दिन पहले ही ईस्टर के मौके पर पोप फ्रांसिस ने सेंट पीटर्स स्क्वायर में सार्वजनिक दर्शन दिए थे।