पोप फ्रांसिस की हालत गंभीर; सांस लेने में परेशानी बढ़ी, खून भी चढ़ाया गया
क्या है खबर?
पोप फ्रांसिस की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। वे बीते एक हफ्ते से फेफड़ों में गंभीर संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती हैं।
अब अस्थमा का दौरा आने के बाद उनकी हालत और खराब हो गई है। वेटिकन ने ताजा बयान में बताया कि जांच में खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम पाए जाने क बाद पोप फ्रांसिस को खून भी चढ़ाया गया है।
बयान में कहा गया कि पोप फ्रांसिस की तकलीफ बढ़ गई है।
स्थिति
डॉक्टर बोले- स्थिति खतरे से बाहर नहीं
वेटिकन ने कहा, "पोप फ्रांसिस अभी होश में हैं और उन्होंने पूरा दिन आराम करते हुए बिताया है। हालांकि, बीते दिन की तुलना में उन्हें दर्द ज्यादा हो रहा है।"
वहीं, डॉक्टरों ने कहा कि पोप की हालत बहुत गंभीर है और उनकी स्थिति किसी भी तरह से खतरे से बाहर नहीं है।
डॉक्टरों ने आशंका जताई कि पोप को 'सेप्सिस' हो सकता है, जो खून का गंभीर संक्रमण है। हालांकि, अभी तक इसके कोई लक्षण नहीं मिले हैं।
भर्ती
एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती हैं पोप
88 साल के पोप फ्रांसिस को फेफड़ों में संक्रमण के चलते 14 फरवरी को रोम के गेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा है।
वेटिकन के मीडिया कार्यालय ने बताया कि पोप साप्ताहिक एंजेलस प्रार्थना में शामिल नहीं होंगे। पोप के 12 साल के कार्यकाल में यह तीसरी बार हो रहा है, जब पोप इस प्रार्थना सभा का हिस्सा नहीं होंगे।
प्रार्थना
दुनियाभर में पोप की सलामती के लिए हो रहीं प्रार्थनाएं
पोप की सलामती के लिए दुनियाभर के चर्चों रविवार को सामूहिक प्रार्थनाएं हुईं। रोम से लेकर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक पोप के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जा रही हैं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पोप के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दे दी गई है और वे बयान जारी करेंगे।
लेविट ने कहा, "हम पोप के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।"
परिचय
कौन हैं पोप फ्रांसिस?
पोप फ्रांसिस का नाम जॉर्ज मारियो बेरगोलिया है। वे 17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना में पैदा हुए थे।
उन्होंने ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र की पढ़ाई की है।
वे 33 साल की उम्र में पहली बार पादरी बने थे। 13 मार्च, 2013 को वे रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्होंने पोप बेनेडिक्ट सोलहवें की जगह ली थी।
वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप हैं।