दुनिया-जहां: तेल की अर्थव्यवस्था, इसमें रूस का योगदान और क्या पड़ेगा प्रतिबंधों का असर?
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमत बढ़ी है। यूक्रेन पर हमले शुरू करने के बाद कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि कीमतों में और उछाल आ सकता है। दरअसल, रूस की गिनती बड़े तेल उत्पादक देशों में होती है और यहां हो रही घटनाओं को तेल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर होता है। आज दुनिया-जहां में इसी को समझने का प्रयास करेंगे।
दुनियाभर में कितनी है तेल की खपत?
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार, 2019 में दुनियाभर में रोजाना 99.7 मिलियन (करीब 9.7 करोड़) बैरल तेल की खपत होती थी। इसमें से करीब एक चौथाई यानी 20.48 मिलियन बैरल की खपत अकेले अमेरिका में होती है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। 13.07 मिलियन बैरल के साथ चीन दूसरे और 4.84 मिलियन बैरल के साथ भारत तीसरे स्थान पर है। जानकारी के लिए बता दें कि एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है।
इन तीन देशों के पास सबसे ज्यादा तेल भंडार
वेनेजुएला के पास 3.03 लाख मिलियन बैरल, सऊदी अरब के पास 2.58 लाख मिलियन बैरल और ईरान के पास 2.08 मिलियन बैरल का तेल भंडार है। यह दुनियाभर में अब तक मिले 1.55 ट्रिलियन बैरल भंडार का करीब आधा है।
80 प्रतिशत भंडारों पर OPEC का नियंत्रण
दुनिया में सबसे ज्यादा तेल के भंडार OPEC देशों के पास हैं। OPEC का पूरा नाम ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज है और इसकी स्थापना 1960 में बगदाद में हुई थी। फिलहाल इसमें 13 देश शामिल हैं और इनके पास दुनिया के कच्चे तेल के 80 प्रतिशत भंडार हैं। तेल की अर्थव्यवस्था में OPEC देशों की भूमिका बेहद अहम है। अमेरिका और रूस ऐसे देश हैं, जिनके पास गैर-OPEC देशों में तेल के सबसे बड़े भंडार हैं।
तेल उत्पादन में कौन सबसे आगे?
OPEC के सदस्य देश दुनिया के 40 प्रतिशत कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं और विश्वभर के पेट्रोलियम व्यापार में इनकी हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत है। दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों की बात करें तो 2020 में अमेरिका 18.61 मिलियन बैरल प्रति दिन (mbpd) के साथ पहले नंबर था। 10.81 mbpd के साथ सऊदी अरब दूसरे, 10.5 mbpd के साथ रूस तीसरे, 5.23 mbpd के साथ कनाडा चौथे और 4.86 mbpd के साथ चीन पांचवें स्थान पर था।
2019 में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था रूस
2019 में सऊदी अरब कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था और उसने 145 बिलियन डॉलर के कच्चे तेल का निर्यात किया था। दूसरे स्थान पर मौजूद रूस ने 123 बिलियन डॉलर, इराक ने 73.8 बिलियन डॉलर, कनाडा ने 67.8 बिलियन डॉलर और अमेरिका ने 61.9 बिलियन डॉलर के कच्चे तेल का निर्यात किया था। रूस ने अपने निर्यात में से करीब 27 फीसदी तेल 34 बिलियन डॉलर में अकेले चीन को बेचा था।
रूस से तेल आपूर्ति पर निर्भर हैं ये देश
अलजजीरा के अनुसार, 2019 में कुल 48 देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदा था। बेलारूस, क्यूबा, कुराकाओ, कजाकिस्तान और लातविया जैसे देश कच्चे तेल के लिए पूरी तरह रूस पर निर्भर हैं और अपनी जरूरत का 99 फीसदी तेल रूस से खरीदते हैं।
अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से तेल का आयात रोका
यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इसी कड़ी में अमेरिका ने रूस से आयात होने वाले तेल, गैस और एनर्जी पर पाबंदी लगा दी है। इसके बाद ब्रिटेन ने भी रूस से अपनी निर्भरता खत्म करने का ऐलान किया था। हालांकि, रूसी तेल पर अमेरिका की निर्भरता ज्यादा नहीं है। 2021 में रूस से अमेरिका में जो तेल आया, वह उसके आयात का केवल 3 प्रतिशत था।
रूस ने दी चेतावनी
इन प्रतिबंधों के चलते कच्चे तेल के दाम 2008 के बाद सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गए थे और फिलहाल उनमें कटौती के आसार भी नजर नहीं आ रहे। दुनियाभर के देशों में इसका असर देखने को मिल रहा है। दूसरी तरफ रूस ने चेतावनी दी है कि अगर रूस के तेल पर पाबंदियां लगाई जाती हैं तो वैश्विक बाजार पर इसके भयानक दुष्परिणाम होंगे। कच्चे तेल की कीमतों में ऐसी तेजी आएगी, जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।