यूक्रेन संकट: कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल पार, आठ सालों में सर्वाधिक
गुरुवार सुबह 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंची है। यूक्रेन संकट को देखते हुए पहले ही कच्चे तेल की कीमत में इजाफा जारी था और गुरुवार को रूस की सैन्य अभियान चलाने की घोषणा के बाद यह 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई। पूर्वी यूरोप में बड़े स्तर पर आक्रमण की आशंका के बीच आज कीमतें 100.4 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी।
एक बैरल में कितने लीटर तेल होता है?
एक बैरल में लगभग 159 लीटर कच्चा तेल होता है। मौजूदा कीमत के हिसाब से आपको एक बैरल के लिए 100.4 डॉलर चुकाने होंगे। आसान भाषा में समझे तो अब एक लीटर कच्चे तेल की कीमत 47 रुपये से ज्यादा हो गई है।
पुतिन ने किया सैन्य अभियान का ऐलान
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरूवार को यूक्रेन में सैन्य अभियान चलाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन का विसैन्यीकरण और नागरिकों की सुरक्षा करना इस अभियान का मकसद होगा। पूर्वी यूक्रेन में सरकारी बलों से लड़ रहे विद्रोहियों के उससे मदद मांगने के बाद रूस ने ये कदम उठाया है। जानकारों का कहना है कि ये सैन्य अभियान कुछ और नहीं बल्कि यूक्रेन पर रूस का हमला है और रूस ने युद्ध छेड़ दिया है।
तेल और प्राकृतिक गैस का बड़ा उत्पादक है रूस
रूस तेल और प्राकृतिक गैस का बड़ा उत्पादक है। युद्ध की बढ़ती आशंका के बीच उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है, जिससे कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। हालांकि, भारत तेल आयात के मामले में रूस पर ज्यादा निर्भर नहीं है। पिछले साल भारत ने रूस से रोजाना करीब 43,400 बैरल तेल का आयात किया था, जो कुल आयात का लगभग 1 प्रतिशत ही है। भारत रूस से कोयला भी खरीदता है।
भारत पर भी पड़ेगा असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में आ रहे उछाल का असर भारत पर भी पड़ेगा। भारत अपनी जरूरतों का 80 फीसदी तेल विदेशों से आयात करता है। अप्रैल से दिसंबर, 2021 के बीच भारत ने 82.4 अरब डॉलर का तेल आयात किया था। ऐसे में कच्चे तेल के दाम बढ़ने का सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ेगा। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद भारत में भी तेल के दाम बढ़ाए जा सकते हैं।
मांग बढ़ने के कारण भी होगी कीमतों में बढ़ोतरी
देश में नवंबर के बाद से तेल की कीमतों में इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम बढ़े हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि इस बार कंपनियां कीमतों में भारी इजाफा कर सकती है। इसके अलावा सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में ईंधन की मांग 5.5 प्रतिशत बढ़कर 21.45 करोड़ टन हो सकती है। ऐसा महामारी से उबरने के बाद उद्योगों के फिर रफ्तार पकड़ने के कारण होगा।