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    #NewsBytesExplainer: यूक्रेन के नोवा कखोव्का बांध से संबंधित जरूरी बातें और ये क्यों बेहद अहम है?
    यूक्रेन के नोवा कखोव्का बांध के टूटने से बाढ़ आ गई है

    #NewsBytesExplainer: यूक्रेन के नोवा कखोव्का बांध से संबंधित जरूरी बातें और ये क्यों बेहद अहम है?

    लेखन नवीन
    Jun 06, 2023
    09:25 pm

    क्या है खबर?

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में दक्षिणी यूक्रेन का नोवा कखोव्का बांध क्षतिग्रस्त हो गया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर खेरसन प्रांत में मौजूद इस प्रमुख बांध को बम से उड़ाने का आरोप लगाया है।

    इस बांध के क्षतिग्रस्त होने से 16,000 लोगों की जान खतरे में है, जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

    आइए जानते हैं कि इस बांध की अहमियत क्या है और क्यों इसे निशाना बनाया गया है।

    मामला

    क्या है मामला?

    मंगलवार को हुए एक बम विस्फोट में नीप्रो नदी पर मौजूद नोवा कखोव्का बांध क्षतिग्रस्त हो गया।

    इस बांध के इंजन रूम में विस्फोट हुआ था, जिससे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट पूरी तरह बर्बाद हो गया।

    बांध की दीवार के क्षतिग्रस्त होने से खेरसन समेत दर्जनों निचले इलाकों के पानी में डूबने का खतरा बढ़ गया है।

    रूस ने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत में नोवा कखोव्का बांध पर कब्जा कर लिया था।

    बांध

    कहां स्थित है नोवा कखोव्का बांध?

    नोवा कखोव्का बांध खेरसन क्षेत्र के नोवा कखोव्का शहर में है, जो वर्तमान में रूस के कब्जे में है। 1956 में बना यह बांध यूक्रेन के सबसे बड़े बांधों में एक है। यह बांध 30 मीटर ऊंचा और 3.2 किलोमीटर लंबा है।

    ये बांध इतना विशाल है कि यह यूक्रेन में उत्तर से दक्षिण तक फैला हुआ है। इसे स्थानीय लोग 'कखोव्का सागर' भी कहते हैं क्योंकि कुछ जगहों पर इसका दूसरा किनारा नहीं देखा जा सकता है।

    क्यों अहम

    क्या है नोवा कखोव्का बांध की अहमियत?

    सोवियत संघ के दौर में बने नोा कखोव्का बांध में करीब 1.8 करोड़ क्यूबिक लीटर पानी रहता है, जो बिजली बनाने, पेयजल और सिंचाई के काम आता है।

    यह बांध कखोव्का हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट का हिस्सा है और यह रूस के कब्जे वाले क्रीमिया प्रायद्वीप और जापोरिजिया परमाणु संयंत्र को भी पानी की आपूर्ति करता है।

    कई इलाकों के किसान भी अपनी फसलों को उगाने के लिए इसी बांध के पानी पर निर्भर हैं।

    हमला

    क्यों किया गया बांध पर हमला?

    कखोव्का बांध पर हुए हमले का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यूक्रेन ने रूस पर जानबूझकर इसे उड़ाने का आरोप लगाया है।

    विशेषज्ञों के अनुसार, रूस को डर हो सकता है कि यूक्रेन जवाबी कार्रवाई के लिए रूस अधिकृत क्षेत्र में अपने सैनिकों को लाने के लिए बांध पर बनी सड़क का उपयोग कर सकता है।

    हालांकि, रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बांध पर हमले की बात को खारिज कर दिया है।

    हमला

    बांध टूटने से दोनों देशों को क्या परेशानी हो सकती है?

    नीप्रो नदी में बने 6 में से 5 बांधों पर यूक्रेन का नियंत्रण है। यूक्रेन के कई पावर प्लांट रूस के हमले में पहले ही तबाह हो चुके हैं, जिससे उसे बिजली संबंधी परेशानी हो रही है। कखोव्का पावर प्लांट के बंद होने से यूक्रेन का बिजली संकट और बढ़ेगा।

    दूसरी ओर रूस ने युद्ध के दौरान खेरसन इलाके पर कब्जा किया है, जबकि क्रीमिया पर 2014 से उसका कब्जा है। बांध के क्षतिग्रस्त होने से उसे भी नुकसान होगा।

    स्थिति

    क्या यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र को है खतरा? 

    BBC की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कखोव्का बांध के क्षतिग्रस्त होने से क्रीमिया में पानी की आपूर्ति बाधित हो सकती है। इसके अलावा रूस के नियंत्रण वाले यूरोप के सबसे बड़े जापोरिजिया परमाणु संयंत्र को ठंडा रखने में भी दिक्कत हो सकती है।

    इस बांध के क्षतिग्रस्त होने पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा कि परमाणु सुरक्षा को अभी तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

    विवाद

    क्या इससे पहले भी बांध को लेकर हुआ है विवाद?

    2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद यूक्रेन ने नोवा कखोव्का बांध से क्रीमिया तक पानी ले जाने वाले एक चैनल को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे क्रीमिया में पानी का संकट खड़ा हो गया था।

    2022 में बांध पर कब्जा करने के बाद रूस ने इस चैनल को फिर से खोल दिया था, लेकिन इस हमले के बाद बांध के जलस्तर में गिरावट आने से क्रीमिया में फिर से जल संकट गहरा सकता है।

    यूक्रेन

    न्यूजबाइट्स प्लस

    अक्टूबर, 2022 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने आशंका जताई थी कि रूस उसके क्षेत्र में बाढ़ लाने के लिए नोवा कखोव्का बांध को नष्ट कर सकता है।

    इस साल की शुरुआत से बांध में पानी के बहाव पर भी चिंता जताई जा रही थी। फरवरी, 2023 में बांध का जलस्तर इतना कम हो गया था कि जापोरिजिया संयंत्र में हादसे की आशंका थी।

    अब बांध पर हमला होने से ये सारे डर हकीकत बनकर सामने आ गए हैं।

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