बांध टूटने के बाद यूक्रेन में बाढ़, शहर डूबा; रूस पर बम से उड़ाने का आरोप
यूक्रेन के खेरसन में रूस के नियंत्रण वाले हिस्से में स्थित नोवा कखोव्का बांध के टूटने के बाद इलाके के करीब 80 गांवों पर बाढ़ का खतरा है। इलाके में लगातार तेजी से बढ़ रहे जलस्तर के कारण हजारों लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। रूस के नियंत्रण वाला नोवा कखोव्का शहर तो पूरी तरह से बाढ़ में डूब गया है। यूक्रेन ने रूसी सेना पर बांध पर बमबारी कर उसे नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
रूस पानी या मिसाइल से यूक्रेन को नहीं रोक पाएगा- राष्ट्रपति जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने बांध टूटने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद की बैठक की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है और बाढ़ के खतरे वाले क्षेत्रों से लोगों को जल्द से जल्द खाली करवाया जा रहा है। जेलेंस्की ने कहा कि रूस यूक्रेन को पानी, मिसाइल या किसी अन्य माध्यम का इस्तेमाल कर नहीं रोक पाएगा।
यूक्रेन ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की मांग की
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कखोव्का बांध को हुए नुकसान के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तत्काल बैठक बुलाए जाने की मांग की है। मंत्रालय ने कहा कि रूस पर तत्काल रूप से नए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। यूरोपीय संघ (EU) ने भी बांध को नुकसान पहुंचाने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया है। EU ने कहा कि यह घटना रूस की आक्रामकता और बर्बरता को दर्शाती है।
यूक्रेन ने खुद जानबूझकर बांध को पहुंचाया नुकसान- रूस
रूस ने यूक्रेन के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यूक्रेन ने खुद जानबूझकर बांध को नुकसान पहुंचाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि 2 दिन पहले बड़े पैमाने पर आक्रामक अभियान शुरू करने के बाद यूक्रेनी सेना अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रही है, इसलिए हताशा में इस तरह के हथकंडे अपना रही है। बता दें कि यूक्रेन और रूस के आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है।
कखोव्का बांध क्यों है अहम?
कखोव्का बांध को सोवियत संघ के कार्यकाल के दौरान 1956 में बनाया गया था और यह निप्रो नदी के किनारे स्थित 6 प्रमुख बांधों में से एक है। करीब 30 मीटर ऊंचे और 3.2 किलोमीटर लंबे इस बांध में अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक के बराबर पानी जमा करने की क्षमता है। यह बांध कखोव्का हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्लांट का हिस्सा है और यह रूस के कब्जे वाले क्रीमिया प्रायद्वीप और जापोरिजिया परमाणु संयंत्र को भी पानी की आपूर्ति करता है।