कोरोना संक्रमण के 6 महीने बाद तक है खून के थक्के जमने का गंभीर खतरा- अध्ययन

कोरोना वायरस की चपेट में आकर ठीक होने वालों के लिए थोड़ी चिंता की खबर सामने आई है। संक्रमित होने के छह महीने बाद तक संक्रमितों में खून के थक्के जमने का गंभीर खतरा रहता है। बड़ी बात यह है कि हल्के संक्रमण के मामलों में भी यह खतरा रहता है। स्वीडन की उमेया यूनिवर्सिटी (Umea University) के शोधकर्ताओं द्वारा कोरोना संक्रमितों पर किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
BMJ में प्रकाशित हुई स्टडी के अनुसार, स्वीडन की उमेया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नेशनल रजिस्ट्री की मदद से 1 फरवरी, 2020 से 25 मई, 2021 के बीच के SARS-CoV-2 के 10 लाख संक्रमितों का अध्ययन करते हुए उनकी तुलना उम्र, लिंग और देश के आधार पर करीब 40 लाख सामान्य लोगों से की थी। शोधकर्ताओं ने पहले शोध में कोरोना के मामलों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस, खून के थक्के और रक्तस्राव की दरों की गणना की थी।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमण के चपेट में आने के बाद डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा 90 दिन, खून के थक्के जमने का खतरा 180 दिन यानी छह महीने और रक्तस्राव का खतरा 60 दिनों तक बढ़ गया। इससे साफ हुआ कि कोरोना की चपेट में आने के बाद संक्रमितों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा पांच गुना, थक्के जमने का खतरा 33 गुना और रक्तस्राव का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना हो गया।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने बाद से अगले छह महीनों तक संक्रमितों में खून का थक्के जमने का खतरा सबसे अधिक रहता है और इसका सबसे ज्यादा असर पैरों में देखने को मिल सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन में कोरोना वायरस से संक्रमित 401 मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या देखने को मिली। इसमें 267 मरीज हल्के लक्षणों वाले थे। इसी तरह 1,761 मरीजों में खून के थक्के जमने की समस्या देखी गई। इनमें 171 मरीज हल्के लक्षण वाले शामिल थे। इसी तरह 1,002 कोरोना संक्रमित और 1,297 हल्के लक्षण वाले मरीजों में रक्तस्राव की समस्या देखने को मिली। यह चौंकाने वाली स्थिति थी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि महामारी की दूसरी और तीसरी लहर की तुलना में पहली लरह में कोरोना संक्रमण की गंभीर मरीजों में जोखिम सबसे अधिक था। दूसरी और तीसरी लहर में वैक्सीन लगवाने के कारण स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिला। इसी तरह हल्के लक्षण वाले मरीजों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस और खून के थक्के जमने की समस्या में थोड़ा इजाफा देखा गया है। हालांकि, हल्के लक्षण वाले मरीजों में रक्तस्राव का ज्यादा जोखिम नहीं मिला।
भारत में बीते दिन कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,033 नए मामले सामने आए और 43 मरीजों की मौत दर्ज हुई। इनमें पुरानी मौतें भी शामिल हैं। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 4,30,31,958 हो गई है। इनमें से 5,21,530 लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 11,639 रह गई है। हालात बेहतर होते देख सरकार ने महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियां खत्म कर दी हैं।