श्रीलंका के बाद इन दर्जनभर देशों पर मंडरा रहा आर्थिक संकट का खतरा
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में इन दिनों हालात बेहद खराब हैं। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने देश से भागकर पद छोड़ दिया है। फिलहाल वहां की जनता सड़कों पर है और नए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम के ऐलान का इंतजार कर रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि केवल श्रीलंका ही नहीं बल्कि दर्जनों विकासशील देशों पर गहरे आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है।
इन कारणों से बढ़ रहीं मुश्किलें
कर्ज संकट, गिरती मुद्रा की कीमत, बढ़ती महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते कई देशों की अर्थव्यवस्था मुश्किल में दिख रही है। श्रीलंका, लेबनान, रूस, सुरीनाम और जांबिया पहले ही डिफॉल्ट कर गए हैं, वहीं बेलारूस भी इसी कगार पर खड़ा नजर आ रहा है। कई जानकारों का मानना है कि अगर वैश्विक बाजार स्थिर होता है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) मदद के लिए आगे आता है तो कई देश इस संकट से बच सकते हैं।
इन देशों पर मंडरा रहा खतरा
अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था की हालत खराब बनी हुई है। विदेश मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है और यहां की मुद्रा ब्लैक मार्केट में 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर ट्रेड कर रही है। माना जा रहा है कि अब अर्जेंटीना संकट से उबरने के लिए IMF के पास जा सकता है। चार महीने से ज्यादा से युद्ध झेल रहा यूक्रेन भी भारी संकट में है। यहां सरकार कर्ज चुका सकती है, लेकिन निवेशक उससे संतुष्ट नजर नहीं आ रहे।
ट्यूनीशिया और घाना
अफ्रीका के कई देश संकट से बचने के लिए IMF से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ट्यूनीशिया की हालत सबसे खराब बताई जा रही है। 10 प्रतिशत के करीब बजट घाटा, कर्मचारियों के वेतन के लिए भारी बिल यहां की अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। इसी तरह घाना में संकट आने को तैयार है। यहां की मुद्रा इस साल एक चौथाई तक गिर चुकी है और 30 प्रतिशत की मंहगाई दर बड़ी चुनौती बनी हुई है।
मिस्र और केन्या
मिस्र की अर्थव्यवस्था से इस साल रिकॉर्ड संख्या में विदेशी मुद्रा बाहर गई है। अगले पांच साल में देश को 100 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है, जो मुश्किल नजर आ रहा है। गंभीर संकट देखते हुए मिस्र ने मार्च में IMF से मदद मांगी थी। केन्या की बात करें तो यह अपने राजस्व का 30 प्रतिशत हिस्सा ब्याज के भुगतान पर खर्च कर रहा है। यहां के बॉन्ड की कीमत भी लगभग आधी हो गई है।
पाकिस्तान को मिली बड़ी राहत
गंभीर आर्थिक संकट की तरफ बढ़ रहे पाकिस्तान को IMF से बड़ी सहायता मिली है। ऊर्जा आयात के लिए दी जा रही बड़ी कीमत के भार के नीचे फंसे पाकिस्तान को इससे बेहतर मौके पर IMF की सहायता नहीं मिल सकती थी। पाकिस्तान के पास 9.8 बिलियन डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, जिससे वह मुश्किल से पांच हफ्तों के आयात का ही भुगतान कर पाता। पाकिस्तानी रुपया भी रिकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है।
इन देशों की हालत भी खराब
ऊपर बताए गए देशों के अलावा इथोपिया, अल सल्वाडोर, बेलारूस, इक्वाडोर और नाइजीरिया आदि देशों की अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक बनी हुई है। कहीं गृह युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था डिफॉल्ट होने की कगार पर है तो कहीं हिंसक प्रदर्शनों के चलते सरकार का ध्यान उन पर है। अधिकतर देशों में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट, कमजोर होती मुद्रा और बढ़ती महंगाई सरकारों के सामने अर्थव्यवस्था को बचाने की चुनौती पेश कर रही हैं।