इंडिया या भारत: कौन-कौन से देश बदल चुके हैं अपना नाम?
देश का नाम 'इंडिया' से 'भारत' किए जाने की अटकलों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। हर तरफ चर्चा है कि केंद्र सरकार देश का आधिकारिक नाम बदलकर 'भारत' कर सकती है। यदि यह परिवर्तन होता है तो यह किसी देश द्वारा आधिकारिक तौर पर अपना नाम बदलने का पहला उदाहरण नहीं होगा। इससे पहले भी दुनिया के कई देश अलग-अलग कारणों से अपने नामों में बदलाव कर चुके हैं। इनमें से कुछ के बारे में जानते हैं।
तुर्की से तुर्किये
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने दिसंबर, 2021 में निर्यात किए जा रहे सामान पर 'मेड इन तुर्किये' लिखने का आह्वान किया था। इसके बाद से अटकलें थीं कि देश का नाम बदलकर तुर्किये कर दिया जाएगा। तुर्की ने मई, 2022 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आधिकारिक तौर पर तुर्किये का इस्तेमाल करने की घोषणा की थी। इस बदलाव के पीछे का उद्देश्य देश की समृद्ध संस्कृति, मूल्यों और सभ्यता को वैश्विक मंच पर बेहतर ढंग से प्रस्तुत करना था।
बर्मा से म्यांमार
म्यांमार की सत्ता पर काबिज सैन्य सरकार ने बर्मा नाम को बदलने का फैसला किया था। सेना ने देश का नाम बदलने को लेकर कहा था कि बर्मा नाम अंग्रेजों द्वारा दिया गया था और यह गुलामी का प्रतीक था। बदलाव के पीछे म्यांमार को संरक्षित करने का प्रयास भी शामिल था। हालांकि, सभी लोग इस फैसले से सहमत नहीं थे और इस कारण म्यांमार को आज भी बर्मा कहकर संबोधित किया जाता है।
हॉलैंड से नीदरलैंड
यूरोप के देश नीदरलैंड ने भी जनवरी, 2020 में अपने नाम में परिवर्तन किया था। इसे पहले हॉलैंड के नाम से जाना जाता था। नाम के बदलाव का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को पर्यटन के केंद्र के रूप में प्रचारित करना और इसकी छवि में सुधार करना था। नीदरलैंड सरकार ने कहा था कि नाम के बदलाव से देश को एक खुले, आविष्कारशील और समावेशी देश के रूप में प्रस्तुत किया जा सकेगा।
फारस से ईरान
ईरान को ऐतिहासिक रूप से पर्शिया या फारस के नाम से जाना जाता रहा है। कई ऐतिहासिक दस्तावेजों और पौराणिक साक्ष्यों में बड़े स्तर पर पर्शिया या फारस का जिक्र मिलता है। 1935 में ईरानी सरकार ने पश्चिमी देशों से उसे आधिकारिक तौर पर ईरान के नाम से संबोधित करने का अनुरोध किया था। पर्शिया और ईरान के नाम की अदला-बदली आज भी ईरानियों के बीच बहस का विषय बनी हुई है।
सीलोन से श्रीलंका
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका को 1948 में अंग्रेजी शासन से आजादी मिली थी। इसे प्राचीनकाल में लंका भी कहा जाता था। गुलामी के दौर में श्रीलंका को सीलोन नाम मिल गया था। स्वतंत्र श्रीलंका की सरकार ने इस निशानी को मिटाने के लिए 1972 में सीलोन का नाम बदलकर श्रीलंका करने का निर्णय लिया। हालांकि, सभी सरकारी दस्तावेजों से सीलोन नाम को पूरी तरह हटाने में 39 वर्षों का लंबा समय लग गया था।
स्वाजीलैंड से इस्वातिनी और आइरिश फ्री स्टेट से आयरलैंड
अफ्रीका के देश स्वाजीलैंड ने 2018 में अपना नाम बदलकर इस्वातिनी रख लिया था, जिसका अर्थ है स्वाजियों की भूमि। यह बदलाव स्विट्जरलैंड के साथ भ्रम को दूर करता है और देश की स्वदेशी भाषा को भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा आयरलैंड को पहले आइरिश फ्री स्टेट के तौर पर जाना जाता था। हालांकि, देश ने 1937 में एक नया संविधान अपनाया, जिसके बाद उसका नाम आयरलैंड हो गया और वह आधिकारिक तौर पर गणतंत्र बन गया।
और किन देशों ने किया हैं नामों में बदलाव?
थाईलैंड, बुर्किना फासो, नामीबिया, कम्बोडिया, नॉर्थ मैसेडोनिया और रिपब्लिक ऑफ काबो वर्दे समेत कई अन्य देश भी अपने नामों में बदलाव कर चुके हैं। इनके अलावा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और चेक रिपब्लिक ने भी अपने नामों में परिवर्तन किया था।