#NewsBytesExplainer: राज्यपाल ने दी पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी, जानें क्या कहता है कानून
क्या है खबर?
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर जानकारी न देने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी कि वे संवैधानिक कार्रवाई के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं। इस पर भगवंत मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी सरकार की बात सामने रखी है।
आइए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है और इस संबंध में कानून क्या कहता है।
शुरुआत
कैसे हुई मामले की शुरुआत?
दरअसल, राज्यपाल ने 1 अगस्त, 2023 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मादक पदार्थों की तस्करी पर सवाल उठाए थे और इसे रोकने के लिए मान सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में पूछा था।
उन्होंने कहा था, "नशीले पदार्थों की उपलब्धता और उपयोग के बारे में विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट मिली है। यह इतना आम कैसे हो गया है कि वे मेडिकल स्टोर और सरकारी शराब की दुकानों में भी उपलब्ध हैं।"
जवाब
राज्यपाल ने सरकार से मांगा था जवाब
राज्यपाल ने इस पत्र में संसदीय समीति की रिपोर्ट का हवाला भी दिया था, जिसमें कहा गया है कि पंजाब में हर 5 लोगों में से एक नशे की लत का शिकार है।
राज्यपाल ने कहा था कि ये तथ्य पंजाब में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने की ओर इशारा करते हैं।
पत्र में लिखा था, "कृपया इन मामलों में आपके द्वारा की गई कार्रवाई की एक रिपोर्ट तुरंत मेरे कार्यालय में भेजे।"
राज्यपाल
25 अगस्त को राज्यपाल ने लिखा एक और पत्र
मान द्वारा जवाब न देने पर 25 अगस्त को राज्यपाल ने एक और पत्र लिखा।
इसमें उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "इससे पहले कि मैं संविधानिक तंत्र की विफलता के बारे में अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट भेजूं और IPC की धारा 124 के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के बारे में निर्णय लूं, मैं आपसे मेरे पत्रों के तहत अपेक्षित जानकारी मांगता हूं। ऐसा न करने पर मेरे पास कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।"
बयान
राज्यपाल के आरोपों पर मान का क्या कहना है?
आज मान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल के आरोपों का जवाब दिया।
उन्होंने कहा, "राज्यपाल साहब इंतजार कीजिए, आपने जो जानकारी मांगी है, वो मुहैया करवाई जाएगी। राज्यपाल के पत्र जो मैंने पढ़े हैं, वे दर्शाते हैं कि राज्यपाल सत्ता के भूखे हैं। मैं उन्हें सुझाव देता हूं कि वे राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ें और भाजपा से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनें।"
मान ने कहा कि उन्होंने 16 में से 9 प्रश्नों का जवाब दिया है।
कानून
क्या कहता है कानून?
सबसे पहले राज्यपाल ने पत्र में जिस अनुच्छेद 356 का जिक्र किया है, उसे समझते हैं। आसान भाषा में इसे राष्ट्रपति शासन कहते हैं।
इसके तहत किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के उल्लंघन की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
इसे लागू करने की एक स्थिति ये है कि राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजकर राज्य में संविधान की विफलता की बात कहे और राष्ट्रपति इसे स्वीकार कर ले।
धारा 124
क्या है IPC की धारा 124?
राज्यपाल ने अपने पत्र में IPC की धारा 124 की भी बात की है। इसका आशय राष्ट्रपति या राज्यपाल पर हमला करने या उन्हें उनकी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करने को लेकर गलत तरीके से रोकने से है।
इसके अनुसार, राष्ट्रपति या राज्यपाल को विधिपूर्ण शक्तियों का इस्तेमाल करने से रोकने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इस संबंध में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लग सकता है।
शासन
तो क्या पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं राज्यपाल?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 167 के मुताबिक, राज्यपाल अगर राज्य के प्रशासनिक मामलों के बारे में कोई जानकारी मांगे तो मुख्यमंत्री द्वारा उसे उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होता है। अगर मुख्यमंत्री ऐसा न करे तो राज्यपाल को कार्रवाई का अधिकार है।
अगर राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजकर राज्य में संवैधानिक विफलता के बारे में जानकारी देते हैं और राष्ट्रपति इसे स्वीकार कर लेते हैं तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है।
शासन
क्या होता है राष्ट्रपति शासन?
बता दें कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासन का पूरा जिम्मा केंद्र सरकार के हाथ में आ जाता है और मंत्रिपरिषद को भंग कर दिया जाता है।
देश में अब तक 130 से भी ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन का उपयोग किया गया है।
देश के किसी राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन 20 जून, 1951 को पंजाब में लगा था। हाल ही में महाराष्ट्र में 2019 में राष्ट्रपति शासन लगा था।
ठनी
पंजाब में कई मुद्दों पर राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच ठनी
पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।
जून में विधानसभा के विशेष सत्र में पारित हुए 4 विधेयकों को राज्यपाल ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
मान ने सरकारी हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल को लेकर राज्यपाल पर सवाल उठाए तो पुरोहित ने कहा कि जब तक वे पंजाब में हैं, कभी सरकारी हेलिकॉप्टर इस्तेमाल नहीं करेंगे।
राज्यपाल ने विधानसभा के बजट सत्र को भी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।