#NewsBytesExplainer: CAG ने द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत पर क्या सवाल उठाए और सरकार ने क्या कहा?
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) ने दिल्ली को गुरूग्राम से जोड़ने वाले द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में आए खर्च को लेकर सवाल उठाया है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत बन रहे द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण की कुल लागत 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा आवंटित की गई लागत की तुलना में 14 गुना अधिक रही। आइए आपको पूरा विवाद बताते हैं।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए CCEA ने 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से बजट आवंटित किया था, लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 250.77 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि को मंजूरी दी। CAG ने कहा कि यह आवंटित की गई राशि से काफी अधिक थी। बता दें कि एक्सप्रेसवे का निर्माण दिल्ली और गुरूग्राम के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 48 के सामानांतर किया गया है।
CAG ने एलिवेटेड सड़क को लेकर क्या कहा?
CAG ने कहा कि हरियाणा में द्वारका एक्सप्रेसवे का करीब 19 किलोमीटर हिस्सा मौजूद है। उसने कहा कि हरियाणा सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को 90 मीटर चोड़ी जमीन दी है तो वहां पर एलिवेटेड सड़क क्यों बनाई जा रही है। CAG के मुताबिक, इस जमीन पर आसानी से 14 लेन की सड़क बन सकती है, लेकिन एलिवेटेड सड़क बनाए जाने के कारण निर्माण की लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
केंद्र सरकार ने रिपोर्ट में क्या कहा?
नितिन गडकरी के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने निर्माण में ऊंची लागत का हवाला देते हुए कहा, "द्वारका एक्सप्रेसवे को अंतर-राज्यीय यातायात की सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए न्यूनतम प्रवेश निकास व्यवस्था के साथ आठ-लेन एलिवेटेड कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था, जिसके कारण लागत बढ़ गई।" हालांकि, CAG ने कहा कि औसत दैनिक यातायात के लिहाज से 8 लेन के निर्माण का कोई औचित्य नहीं है।
NHAI ने क्या तर्क दिया?
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों के मुताबिक, CCEA ने चार लेन की सड़क के लिए राशि आवंटित की थी, जबकि द्वारका एक्सप्रेसवे 14 लेन का बनाया जा रहा है। इसमें 8 लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड रोड है और 6 लेन का सर्विस रोड है। एक्सेस कंट्रोल्ड रोड का अधिकांश हिस्सा एलिवेटेड ही है। उन्होंने कहा कि इस कारण परियोजना की लागत में बढ़ोतरी हो गई है, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूर किया है।
CAG ने भारतमाला परियोजना पर क्या सवाल उठाए?
CAG ने भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे अन्य एक्सप्रेसवे की लागत पर भी सवाल खड़ा किया है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देशभर में भारतमाला परियोजना के तहत वास्तविक लागत स्वीकृत लागत से 58 प्रतिशत अधिक थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 26,316 किलोमीटर लंबाई की परियोजना की स्वीकृत लागत 8,46,588 करोड़ रुपये (32.17 करोड़ रुपये/किलोमीटर) रही, जबकि CCEA द्वारा आवंटित 34,800 किलोमीटर लंबाई की लागत 5,35,000 करोड़ रुपये (15.37 करोड़ रुपये/किलोमीटर) थी।
दिल्ली और गुरुग्राम को जोड़ता है द्वारका एक्सप्रेसवे
द्वारका एक्सप्रेसवे को नॉर्दर्न पेरिफेरल रोड के रूप में भी जाना जाता है। 27.6 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे दिल्ली में द्वारका को हरियाणा में गुरूग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाजा से जोड़ता है। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के महिपालपुर में शिव मूर्ति पर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 के 20 किलोमीटर माइलस्टोन से शुरू होकर गुरुग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 48 के 40 किलोमीटर माइलस्टोन पर खत्म होता है।