भारत, अमेरिका और सऊदी अरब रेल नेटवर्क-बंदरगाहों को जोड़ने के लिए कर रहे बातचीत- रिपोर्ट्स
क्या है खबर?
अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच रेल नेटवर्क और बंदरगाहों को जोड़ने के लिए एक संयुक्त योजना पर बातचीत चल रही है।
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सियोस ने सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी है।
खबर है कि G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ही इस योजना से जुड़ी बड़ी घोषणा की जा सकती है। इसे चीन की वन बेल्ट वन रोड (OBOR) योजना के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।
योजना
क्या है योजना?
रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के तहत खाड़ी और अरब देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए रेलवे का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
इस रेल नेटवर्क को खाड़ी के विभिन्न बंदरगाहों के जरिए भारत तक जोड़ा जाएगा। यानी ये रेल और बंदरगाहों का मिला-जुला नेटवर्क होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये योजना धरातल पर उतरी तो इन देशों के बीच व्यापार न सिर्फ आसान होगा, बल्कि कई गुना बढ़ भी जाएगा।
इजराइल
योजना में इजराइल को जोड़ने का भी है इरादा
अमेरिका सऊदी अरब और इजरायल के बीच संबंध बहाल करने के लिए एक समझौता कराना चाह रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन 2024 चुनाव से पहले इस समझौते को पूरा करना चाहते हैं, ताकि वे इसे अपनी विदेश नीति की एक बड़ी सफलता के तौर पर दिखा सके।
अगर सऊदी अरब और इजरायल के बीच समझौता हुआ तो भविष्य में इजरायल को भी इस योजना का हिस्सा बनाया जा सकता है।
i2u2
I2U2 फोरम में योजना को लेकर हुई बातचीत
एक्सियोस ने सूत्रों के हवाले से कहा कि इसका विचार I2U2 नामक एक फोरम में हुई बातचीत के दौरान आया। पिछले साल I2U2 बैठकों के दौरान इजराइल ने इस क्षेत्र को रेलवे के माध्यम से जोड़ने का विचार उठाया था।
बता दें कि I2U2 में अमेरिका, इजराइल, UAE और भारत शामिल हैं। इस फोरम की स्थापना 2021 के अंत में मध्य-पूर्व में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चर्चा करने और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए हुई थी।
G-20
G-20 शिखर सम्मेलन में योजना पर हो सकती है बातचीत
रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडन G-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे के दौरान जिन योजनाओं पर बात करने वाले हैं, उनमें इस योजना का नाम भी शामिल है।
इसके अलावा तीनों देशों के शीर्ष नेता सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत में इकट्ठे हो रहे हैं। अगर समझौते पर सहमति बनी तो सम्मलेन के अंत में योजना से जुड़े सदस्य देश एक संयुक्त दस्तावेज जारी कर सकते हैं।
obor
न्यूजबाइट्स प्लस
OBOR परियोजना 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई थी। इसके जरिए चीन ऐतिहासिक रेशम मार्ग को फिर से विकसित करना चाहता है।
श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और अफगानिस्तान समेत करीब 100 से ज्यादा देश इस परियोजना का हिस्सा हैं।
आलोचक इसे भूराजनीतिक प्रभाव बढ़ाने और देशों को कर्ज के जाल में फंसाकर उनके संसाधनों का दोहन करने की चीन की नीति का जरिया मानते हैं।