फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन को WHO ने दी आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को फाइजर और बायोएनटेक कंपनी द्वारा रिकॉर्ड समय में तैयार की गई कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही अलग-अलग देशों में जल्द इस वैक्सीन के आयात और वितरण की मंजूरी का रास्ता साफ हो गया है। संगठन ने पिछले साल शुरू हुई कोरोना महामारी के बीच पहली वैक्सीन को 'इमरजेंसी वेलिडेशन' दिया है। अब UNICEF जैसी संस्थाएं भी जरूरतमंद देशों के लिए यह वैक्सीन खरीद सकेंगी।
लोगों तक वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दी गई मंजूरी
जानकारी के अनुसार, संगठन ने कम आय और गरीब देशों के लोगों के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए इमरजेंसी यूज लिस्टिंग प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। अगर कोई वैक्सीन इस लिस्ट में शामिल होती है तो अलग-अलग देशों में इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी आसानी से मिल सकेगी। संगठन का कहना है कि सभी लोगों तक वैक्सीन जल्द पहुंचाने के लिए उसने वैक्सीन को जल्दी मंजूरी दी है।
कोरोना से होने वाली मौतें रोक सकती है वैक्सीन- संगठन
फाइजर की वैक्सीन दो खुराक के बाद संक्रमण से सुरक्षा देती है। संगठन की तरफ से कहा गया है कि इस वैक्सीन के दो खुराक लेने के बाद कोरोना से मौत की संभावना भी कम हो जाती है।
"जरुरतों को पूरा करने के लिए अधिक वैश्विक प्रयास की जरुरत"
संगठन की एक्सेस टू मेडिसिन प्रोग्राम की प्रमुख मारियांगेला सिमाओ ने इस मंजूरी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कोरोना वायरस वैक्सीन तक वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक बहुत ही सकारात्मक कदम है। उन्होंने आगे कहा, "मैं हर जगह प्राथमिकता आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त वैक्सीन की आपूर्ति को बनाए रखने और भी अधिक वैश्विक प्रयास की आवश्यकता पर जोर देना चाहती हूं।"
ब्रिटेन समेत कई देश दे चुके मंजूरी
यूनाइटेड किंगडम (UK) ने सबसे पहले पिछले महीने इस वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। उसके बाद अमेरिका, बहरीन, कनाडा समेत कई देशों में इस वैक्सीन की वितरण शुरू हो चुका है और लाखों लोगों को इसकी खुराक दी जा चुकी है।
mRNA तकनीक से तैयार की गई है वैक्सीन
जानकारी के लिए बता दें कि फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन एक नई तकनीक पर आधारित है। इस वैक्सीन को mRNA तकनीक के जरिए बनाया गया है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं। मॉडर्ना की संभावित वैक्सीन भी इसी तकनीक पर बनी है।
सबसे तेज गति से बनी है फाइजर की वैक्सीन
फाइजर-बायोएनटेक की यह वैक्सीन दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होने वाली वैक्सीन है। इसे बनाने में लगभग 10 महीने का समय लगा है। आमतौर पर किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल लग जाते हैं।
संक्रमण के खिलाफ 95 प्रतिशत प्रभावी है फाइजर की वैक्सीन
फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोनटेक ने बीते नवंबर महीने में दावा किया था इंसानी ट्रायल के तीसरे चरण के अंतिम विश्लेषण में सामने आया है कि उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक असरकारकर है। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। विश्लेषण में ये हर उम्र के लोगों के लिए कारगर पाई गई है। किसी भी वॉलेंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली है।
स्टोरेज के लिए चाहिए -70 डिग्री तापमान
फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर स्टोर करने की जरूरत होगी। वैक्सीन को ड्राई आइस में पैक करने के बाद खास तौर पर बनाए गए डिब्बों में रखकर डिलीवर किया जाएगा। इसे पांच दिनों तक फ्रीज में रखा जा सकता है।