दुनिया में कितनी तेजी से फैल रहा है मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण?
कोरोना वायरस महामारी के बीच दुनियाभर में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंतित कर रखा है। वर्तमान में दुनिया के 29 देशों में इसके 780 मामले सामने आ चुके हैं। ये देश इस वायरस के प्रसार के लिए मुफिद भी नहीं रहे हैं। ऐसे में यहां इसके तेज प्रसार ने विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आइये जानते हैं कि दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है।
अफ्रीका के 11 देशों में सामने आते रहे हैं मामले
बता दें पश्चिम और मध्य अफ्रीका के कैमरून, कांगो और नाइजीरिया सहित 11 देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। इस वायरस की खोज 1958 में बंदरों में की गई थी। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में आया था।
6 मई को अफ्रीका से बाहर मिला था मंकीपॉक्स का पहला मामला
बता दें कि लंबे समय से पश्चिम और मध्य अफ्रीका के देशों को अपना निशाना बनाने वाले मंकीपॉक्स वायरस ने इस साल मई की शुरुआत में अपने अनुकूलित इलाके से बाहर कदम रखा था। 6 मई को ब्रिटेन के एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित पाया गया था। उसने चपेट में आने से पहले इस वायरस के अनुकूलित देश नाइजीरिया की यात्रा की थी। उसके बाद से यह वायरस अफ्रीका से बाहर के 29 देशों में पहुंच चुका है।
16 दिन में सात गुना बढ़े संक्रमण के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 7 जून तक दुनिया के 29 देशों में मंकीपॉक्स के 780 मामले मिल चुके हैं। इसके अलावा 250 से अधिक संदिग्ध मामले हैं। WHO के डाटा के अनुसार, 11 मई तक दुनिया में पांच मामले सामने आए थे और अगले 5 दिनों में यानी 16 मई तक संख्या 100 पर पहुंच गई थी। इसके बाद अगले 16 दिनों में यानी 7 जून तक यह संख्या सात गुना इजाफे के साथ 780 पर पहुंच गई।
किन-किन देशों में सामने आ चुके हैं मंकीपॉक्स के मामले?
WHO के अनुसार, दुनिया के 29 देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्टि्रया, मोरक्को, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इजरायल, स्लोवेनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, अर्जेंटीना, फिनलैंड, मैक्सिको और स्पेन आदि देश शामिल हैं। इनमें से ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्पेन और बेल्जियम की रेव पार्टियों को इसका जिम्मेदार माना गया है। वहां की सरकारों ने समलैंगिकों को सतर्कता बरतने को कहा है।
यूरोप में सामने आए हैं सबसे ज्यादा 481 मामले
मंकीपॉक्स संक्रमितों के सबसे अधिक 481 मामले यूरोपियन यूनियन के देशों में मिले हैं। यहां स्पेन में सबसे अधिक 156 और पुर्तगाल में 138 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसी तरह ब्रिटेन और आयरलैंड में इसके 207 मामले सामने आ चुके हैं।
WHO ने दी है तेजी से मामलों की संख्या बढ़ने की चेतावनी
इस बीच WHO ने आने वाले दिनों में तेजी से संक्रमण बढ़ने की चेतावनी भी दी है। WHO का मानना है कि यह वायरस अपने अनुकूलित क्षेत्र से बाहर के 20 से अधिक देशों में पहुंच चुका है और तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में संक्रमण बढ़ सकता है। हालांकि, WHO ने आने वाले दिनों में इससे बचाव और इसकी रोकथाम के संबंध में गाइडलाइंस जारी करने की बात भी कही है।
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस और क्या हैं इसके लक्षण?
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरूआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं।
किस तरह से संभव है मंकीपॉक्स का उपचार?
अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम का केंद्र (CDC) और यूनाइटेड किंगडम (UK) की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के अनुसार, वर्तमान में मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ कोई वैक्सीन नहीं है, लेकिन चेचक के खिलाफ काम आने वाली वैक्सीन इससे 85 प्रतिशत तक सुरक्षा देती है, क्योंकि दोनों वायरस काफी मिलते-जुलते हैं। CDC के अनुसार, मंकीपॉक्स की वैक्सीन में जीवित वैक्सीनिया वायरस होता है, जो संक्रमितों को उससे 95 प्रतिशत तक सुरक्षा देता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
भारत में अभी संक्रमण का कोई मामला नहीं आया है, लेकिन सरकार ने सतर्कता बरतते हुए प्रभावित देशों से आने वालों की जांच शुरू कर दी। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इससे बचाव के लिए विस्तृत गाइडलाइंस भी जारी की जा चुकी है।