सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर, केवल अमेरिका और चीन आगे
सैन्य खर्च के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है और केवल अमेरिका और चीन उससे आगे हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के विश्लेषण में ये बात सामने आई है। संगठन के अनुसार, 2021 में पूरी दुनिया का सैन्य खर्च 2.1 लाख करोड़ (2,113 अरब) डॉलर रहा जो अब तक के इतिहास का सबसे अधिक है। कोरोना वायरस महामारी जैसे व्यवधानों के बावजूद वैश्विक सैन्य खर्च इस रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है।
शीर्ष पांच देशों की वैश्विक सैन्य खर्च में 62 प्रतिशत हिस्सेदारी
SIPRI के अनुसार, अमेरिका, चीन, भारत, यूनाइटेड किंगडम (UK) और रूस पांच सबसे अधिक सैन्य खर्च वाले देश रहे और इन सभी की मिलाकर कुल वैश्विक सैन्य खर्च में 62 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। महंगाई के कारण सैन्य खर्च की रीयल-टर्म वृद्धि बेहद कम 0.7 प्रतिशत रही, लेकिन नॉमिनल टर्म में इसमें 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कोरोना वायरस महामारी से रिकवरी के कारण सैन्य खर्च कुल वैश्विक GDP का 2.2 प्रतिशत रहा। 2020 में यह आंकड़ा 2.3 प्रतिशत था।
2021 में 76.6 अरब डॉलर रहा भारत का सैन्य खर्च
SIPRI के अनुसार, 2021 में भारत का सैन्य खर्च 76.6 अरब डॉलर रहा और 2020 के मुकाबले इसमें 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले 10 सालों की बात करें तो 2012 के मुकाबले भारत का सैन्य खर्च अब तक 33 प्रतिशत बढ़ चुका है। भारत पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर जिस तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसे देखते हुए इस वृद्धि को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।
अमेरिका ने सेना पर खर्च किए 801 अरब डॉलर
अन्य देशों की बात करें तो 2021 में अमेरिका का सैन्य खर्च दुनिया में सबसे अधिक 801 अरब डॉलर रहा। इसमें 2020 की तुलना में 1.4 प्रतिशत की कमी आई है। 2012 से 2021 के बीच अमेरिका ने सैन्य अनुसंधान और विकास पर खर्च को 24 प्रतिशत बढ़ाया, वहीं हथियारों की खरीद पर खर्च को 6.4 प्रतिशत कम किया गया। दूसरे स्थान पर काबिज चीन का सैन्य खर्च 293 अरब डॉलर रहा जो 2020 के मुकाबले 4.7 प्रतिशत अधिक रहा।
ब्रिटेन और रूस की क्या स्थिति रही?
चौथे स्थान पर काबिज ब्रिटेन का पिछले साल सैन्य खर्च 68.4 अरब डॉलर रहा जो 2020 से तीन प्रतिशत अधिक है। पांचवें स्थान पर काबिज रूस ने अपने सैन्य खर्च में 2.9 प्रतिशत का इजाफा किया और ये 65.9 प्रतिशत रहा। SIPRI के अनुसार, ये लगातार तीसरा ऐसा साल रहा जब रूस ने अपना सैन्य खर्च बढ़ाया है और अब ये उसकी GDP के 4.1 प्रतिशत के बराबर हो गया है।