दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच देश में नई गाइडलाइंस जारी
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर देश में नई गाइडलाइंस जारी की है। मंगलवार को जारी हुई गाइडलाइंस में इस बीमारी की निगरानी, पहचान, पुष्टि और इलाज के बारे में विस्तार से बताया गया है। बता दें कि दुनिया के कई देशों में इस बीमारी के लगभग 300 मरीज या संदिग्ध संक्रमित पाये जा चुके हैं, लेकिन भारत में अभी तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया है।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। यह धीरे-धीरे म्यूटेट होने वाला DNA वायरस है, जो सांस के जरिये या लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहने से फैलता है। इसके लक्षण दिखने में संक्रमित होने के बाद 5 से 21 दिनों तक का समय लग सकता है।
गाइडलाइंस में क्या बताया गया है?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइंस में बताया है कि अगर कोई व्यक्ति पिछले 21 दिनों में विदेशों से आया है, शरीर पर अचानक से चकते हो गए हैं या उसमें बुखार, सिरदर्द, बदनदर्द या लंबे समय तक कमजोरी बनी रहने जैसे लक्षण मिलते हैं तो ही उसे संदिग्ध मरीज माना जा सकता है। इन मरीजों में PCR (कोरोना संक्रमण की पुष्टि के लिए किए जाने वाला टेस्ट) या सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद ही बीमारी की पुष्टि की जाएगी।
IDSP को किया गया अलर्ट
देश में संक्रामक बीमारियों पर नजर रखने वाले नेटवर्क इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) को स्वास्थ्य केंद्रों, यौन संक्रामक बीमारियों का इलाज करने वाले क्लिनिक, स्किन क्लिनिक और मेडिसिन क्लिनिक के साथ अलर्ट रहने को कहा गया है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि नेटवर्क को मंकीपॉक्स से प्रभावित देशों से लौटे यात्रियों पर नजर रखनी है। अगर उनमें कोई लक्षण नजर आता है तो उसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजना होगा।
एक मामला सामने आने पर भी माना जाएगा बड़ा संक्रमण
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मंकीपॉक्स का एक भी मामला सामने आने पर इसे बड़ा संक्रमण माना जाएगा। इसे देखते हुए IDSP के जरिये रैपिड रिस्पॉन्स टीमों को विस्तृत जांच करनी होगी।
इन लक्षणों पर रखनी होगी नजर
गाइडलाइंस में त्वचा के घाव, डिहाइड्रेशन और बुखार, खुजली, उल्टी और सिरदर्द के बढ़ते लक्षणों के इलाज के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि आइसोलेशन के समय मरीज को आंखों में दर्द, नजर धुंधली होनी, सांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द, बेहोशी की स्थिति, चक्कर आना, पेशाब आना कम होना, भूख कम लगने जैसे लक्षणों पर नजर रखनी होगी। विदेशों से आए लोगों को बीमारों के संपर्क में न आने को कहा गया है।
संक्रमित के संपर्कों पर रखी जाएगी 21 दिनों तक नजर
इसमें आगे बताया गया है कि जिन मरीजों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हो चुकी होगी, उनके संपर्क में आए लोगों पर 21 दिनों तक नजर रखी जाएगी। लक्षण नजर आने पर सैंपल लिया जाएगा। जिन संपर्कों में कोई लक्षण नहीं होगा, उन्हें आइसोलेशन के दौरान खून आदि दान न देने को कहा गया है। इसमें विदेश से आए लोगों को जंगली जानवरों का मांस, इससे बनी क्रीम, लोशन और पाउडर का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजरायल, स्विट्जरलैंड आदि देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। ये कैमरून, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो, गैबोन, लाइबेरिया, नाइजीरिया और सिएरा लियोन आदि देशों से अलग है, जहां अकसर इसके मामले सामने आते रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी जारी की है कि आने वाले दिनों में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ेंगे।