भारत को नसीहत देने पर विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका-यूरोप को सुनाया, कही ये बातें
रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी और यूरोपीय देश लामबंद होकर रूस पर सख्त से सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं, लेकिन भारत ने कभी खुले मंच पर उसका विरोध नहीं किया। इसको लेकर अमेरिका और यूरोप लगातार भारत की आलोचना करते आए हैं। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को दिल्ली में जारी रायसीना डायलॉग में अफगानिस्तान के बहाने अमेरिका और यूरोप को उनके दोहरे मापदण्डों पर आईना दिखाया है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने की भारत के रुख की आलोचना
यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देश रूस की आलोचना करते हुए कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं, लेकिन भारत ने कभी भी रूस का विरोध नहीं किया। इतना ही नहीं भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोटिंग से भी खुद का दूर रखा था। अमेरिका और यूरोपीय देश भारत के रूस के साथ व्यापार संबंध बनाए रखने और रूस द्वारा यूक्रेन में किए जा रहे नरसंहार पर भारत की खामोशी को लेकर ओलचना कर रहे हैं।
जयशंकर ने अफगानिस्तान के नाम से साधा निशाना
रायसीना डायलॉग में जयशंकर ने कहा, "आपने यूक्रेन के बारे में बात की। मुझे याद है एक साल से भी कम समय पहले अफगानिस्तान में कैसे पूरी सिविल सोसाइटी को अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। उसे किसी वैश्विक व्यवस्था के मानक से सही नहीं ठहराया जा सकता।" उन्होंने कहा, "यूक्रेन में संकट यूरोप के लिए चेताने वाला हो सकता है, ताकि वह यह भी देखे कि पिछले 10 सालों से एशिया में क्या हो रहा है।"
यूरोप ने दी थी व्यापार बढ़ाने की सलाह- जयशंकर
लक्जमबर्ग के विदेश मंत्री जीन एस्सेलबोर्न के सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, "जब एशिया में ऐसी ही एक चुनौती हमारे सामने थी (चीन के अक्रामक रवैये के कारण) तो हमें यूरोप की ओर से व्यापार बढ़ाने (चीन के साथ) की सलाह दी गई थी। कम से कम हम आपको वो सलाह तो नहीं दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के संदर्भ में मुझे बताया जाए कि आखिर कौन से नियम-आधारित आदेशों को दुनिया ने वहां लागू किया था?"
"यूरोप ने पिछले 10 सालों में नहीं दिया एशिया पर ध्यान"
एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, "पिछले 10 सालों से एशिया में जो चीजें हो रही हैं। यूरोप ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यह यूरोप के लिए चेतावनी हो सकती है कि वह सिर्फ यूरोप को ही नहीं, बल्कि एशिया को भी देखे।" उन्होंने कहा, "एशिया दुनिया का आसान हिस्सा नहीं रहा है। यह दुनिया का एक ऐसा हिस्सा है जहां सीमाएं तय नहीं हुई हैं और आतंकवाद अब भी राष्ट्रों द्वारा प्रायोजित किया जाता है।"
एशिया को पहचानने की है जरूरत- जयशंकर
जयशंकर ने कहा, "एशिया दुनिया का वो हिस्सा है जहां एक दशक से अधिक समय से नियमों पर आधारित व्यवस्था लगातार तनाव और संकट में है और मुझे लगता है कि एशिया के बाहर, बाकी दुनिया के लिए आज इसे पहचानना महत्वपूर्ण है।"
"भारत चाहता है युद्ध की तत्काल समाप्ति"
यूक्रेन की स्थिति पर नॉर्वे के विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड के सवाल पर जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि जहां तक यूक्रेन में संघर्ष का सवाल है, हमारा बहुत स्पष्ट रुख है, जिसे साफ तौर पर व्यक्त किया गया है। एक दृष्टिकोण जो लड़ाई की तत्काल समाप्ति पर जोर देता है, जो कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आग्रह करता है, जो राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल देता है।"
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष की टिप्पणी के बाद बोले जयशंकर
बता दें कि रायसीना डायलॉग में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लियेन ने कहा था कि यूक्रेन में युद्ध के परिणाम न केवल यूरोप के भविष्य को निर्धारित करेंगे बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे। उन्होंने भारत को यूक्रेन के खिलाफ रूस की अक्रामकता की आलोचना से बचने की अपनी नीति को छोड़ने और रूस-चीन के बीच गहराते संबंधों को लेकर चेतावनी दी थी। इसको लेकर जयशंकर ने यूरोप को आईना दिखाया है।
अमेरिका को भी सुनाई थी खरी-खरी
जयशंकर ने हाल ही में अमेरिका में रूस से तेल के आयात पर भारत की आलोचना किए जाने को लेकर अमेरिका को खरी-खरी सुनाई थी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था कि तेल खरीद पर बात की जा रही है। यदि रूस से ऊर्जा खरीद देखें तो यूरोप पर भी केंद्रित होना चाहिए। भारत अपनी जरूरतों के लिए ऊर्जा खरीदता है, लेकिन भारत की कुल खरीद यूरोप की रूस से एक दोपहर की गई खरीद से कम है।