अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं, 7-8 सालों में नहीं हुई कोई बड़ी सांप्रदायिक हिंसा- नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को भारत दौरे पर आए यूरोपीय संघ के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस दौरान नकवी ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि पिछले 7-8 सालों में देश में सांप्रदायिक हिंसा का कोई 'बड़ा' मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि देश में सभी समुदायों के धार्मिक स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित हैं, लेकिन किसी को भी जबरन धर्मांतरण का संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
भारत में अल्पसंख्यकों के साथ नहीं होता भेदभाव- नकवी
नकवी ने छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बताया कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं है और केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदाय की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2014 में यह 4 प्रतिशत से कम थी, जो अब बढ़कर 10 प्रतिशत हो गई है। मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों में अल्पसंख्यक वर्गों के 5.20 करोड़ छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठा एजेंडा चलाते हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने उठाया था अल्पसंख्यकों से भेदभाव का मुद्दा
मानवाधिकार पर यूरोपीय संघ के विशेष प्रतिनिधि एमेन गिलमोर और संघ के भारत में राजदूत उगो एस्ट्यूटो के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने नकवी से मुलाकात की थी। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया था। इस पर नकवी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि भारत में बिना किसी भेदभाव सम्मान के साथ सभी समुदायों को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण किया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने नौकरशाहों के लिखे पत्र पर की बात
मुलाकात के दौरान यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर नौकरशाहों की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र का मुद्दा उठाया था। इस पर नकवी ने कहा, "मैंने उन्हें बता दिया कि पिछले 7-8 सालों में सांप्रदायिक हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हई है। कुछ छिटपुट घटनाएं हुई हैं और सरकार ने उनके दोषियों के खिलाफ बिना धर्म, जाति और समुदाय देखे कड़ी कार्रवाई की है।"
भारत में जडे़ नहीं जमा पाया आतंकवाद- नकवी
प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान नकवी ने जोर देकर कहा कि अल कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों ने यूरोपीय देशों समेत कई देशों में अपने पैर जमाए हैं, लेकिन ये भारत में अपनी जड़े नहीं जमा पाए। यह भारत की अनेकता में एकता की ताकत, सहअस्तित्व और भारतीय मुसलमानों के सरकार और समाज के प्रति विश्वास को दिखाता है। यूरोपीय संघ की तरफ से अभी तक इस मुलाकात पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।