भारत को कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए अपनाना चाहिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण- WHO
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने आने के बाद से भारत में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। प्रतिदिन लाखों की संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में राज्यों ने बढ़ते मामलों पर नियंत्रण के लिए नाइट और वीकेंड कर्फ्यू सहित कई प्रतिबंध लगाएं हैं।
इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के भारत प्रमुख डॉ रोड्रिको ऑफ्रीन ने कहा कि भारत को महामारी पर नियंत्रण के लिए पाबंदियों की जगह जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
चेतावनी
लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध दिखा सकते हैं विपरीत परिणाम- ऑफ्रीन
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, डॉ ऑफ्रीन ने कहा, "WHO कभी भी लोगों के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध और यात्रा प्रतिबंध जैसे विशेष उपायों की सिफारिश नहीं करता है। कई बार इस तरह के प्रतिबंध विपरीत परिणाम दिखा सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "भारत को जनसंख्या वितरण और भौगोलिक प्रसार में अपनी विविधता को देखते हुए कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।"
सुझाव
डॉ ऑफ्रीन ने दिए हैं अहम सुझाव
डॉ ऑफ्रीन ने कहा कि ओमिक्रॉन के कारण संक्रमण के मामलों में आए उछाल ने देश में संक्रमितों की कुल संख्या को 3,76,18,271 पर पहुंचा दिया है। ऐसे में अब भारत को सख्त पाबंदियां लागू करने की जगह संक्रमण के प्रसार, बीमारी की गंभीरता, वैक्सीनेशन की रफ्तार, महामारी के प्रति लोगों की गंभीरता और उनके कोरोना प्रोटोकॉल के पालन पर ध्यान केंद्रित करते बचाव की योजना बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा इसके जरिए महामारी पर जल्द काबू पाया जा सकता है।
स्पष्ट
"...तो नहीं होगी लॉकडाउन की आवश्यकता"
डॉ ऑफ्रीन ने कहा, "भारत में सरकार को महामारी विज्ञान की स्थिति, उपलब्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमताओं और सामाजिक और आर्थिक संदर्भ के आधार पर महामारी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए उपाय करने चाहिए।"
उन्होंने कहा, "WHO सरकारों को सूक्ष्म, लक्षित और जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देता है। यदि सलाह के अनुसार सभी प्रोटोकॉल और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों का पालन किया जाए तो लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।"
जिम्मेदारी
प्रत्येक व्यक्ति के जिम्मेदारी निभाने से मिलेगी सफलता- डॉ ऑफ्रीन
डॉ ऑफ्रीन ने कहा कि सभी संक्रमितों की जीनोम सीक्वेंसिंग संभव नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मामलों में वर्तमान उछाल ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण ही आया है। ऐसे में इससे बचाव के लिए केवल सरकार ही नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक को जिम्मेदारी निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि महामारी की इस लहर से बचने के लिए लोगों को सभी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैक्सीनेशन की ओर ध्यान देना होगा। इससे ही जीत मिल सकती है।
बयान
"महामारी के अंत की तारीख तय करना बहुत मुश्किल"
डॉ ऑफ्रीन ने कहा, "महामारी के अंत की तारीख तय करना बहुत मुश्किल है। आने वाले समय में वायरस अन्य खतरनाक वेरिएंट भी सामने आ सकते हैं। ऐसे में मौजूद उपकरणों की उपलब्धता और रणनीति के जरिए ही वायरस को नियंत्रित करना संभव है।"
बूस्टर डोज
अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए जरूरी है बूस्टर डोज- डॉ ऑफ्रीन
भारत में बूस्टर डोज में देरी पर डॉ ऑफ्रीन ने कहा WHO का पहला उद्देश्य सभी लोगों को वैक्सीन की एक-एक खुराक देना है। जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराकें लगवा ली, उनके लिए बूस्टर की ज्यादा जरूरत नहीं है। भारत ने भी इसी रणनीति पर चलते हुए निर्णय किए हैं।
उन्होंने कहा कि WHO स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स (SAGE) ने कोरोना महामारी के साथ अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बूस्टर डोज की सिफारिश की है।
बयान
"उचित अध्ययन के बाद ही शुरू किया जाए बच्चों का वैक्सीनेशन"
डॉ ऑफ्रीन ने कहा, "भारत के महामारी विज्ञान और सामाजिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए बच्चों की सुरक्षा पर एक उचित अध्ययन के बाद उनका वैक्सीनेशन शुरू किया जाना चाहिए। इससे बच्चों को महामारी से बचाने में और अधिक मदद मिलेगी।"
संक्रमण
भारत में क्या है कोरोना संक्रमण की स्थिति?
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,38,018 नए मामले सामने आए और 310 मरीजों की मौत दर्ज हुई।
इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 3,76,18,271 हो गई है। इनमें से 4,86,761 लोगों की मौत हुई है। सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 17,36,628 हो गई है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण मामलों में यह उछाल देखने को मिल रहा है। देश में आधिकारिक तौर पर ओमिक्रॉन के 8,891 मामले सामने आ चुके हैं।