हिंसा रोकने के लिए अफगान सरकार ने तालिबान को दिया सत्ता साझेदारी का प्रस्ताव- रिपोर्ट
क्या है खबर?
अफगानिस्तान सरकार के वार्ताकारों ने देश में चल रही हिंसा रोकने के लिए तालिबान को सत्ता साझेदारी का प्रस्ताव दिया है। समाचार एजेंसी AFP ने मध्यस्थता के लिए बातचीत कर रहे एक अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने मध्यस्थ के तौर पर कतर को यह प्रस्ताव सौंपा है। इसमें हिंसा रोकने के बदले तालिबान को सत्ता में साझेदारी देने की बात कही गई है।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
पृष्ठभूमि
अफगानिस्तान में जारी है संघर्ष
गौरतलब है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बीच अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सेना के बीच संघर्ष चल रहा है।
माना जा रहा है कि तालिबान देश के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर चुका है और उसने कहा है कि अगर वो चाहे तो दो हफ्ते में पूरे देश पर कब्जा कर सकता है।
अफगानिस्तान में स्थिति तेजी से गृह युद्ध में तब्दील होती दिख रही है जो एक अच्छी खबर नहीं है।
बयान
गनी के राष्ट्रपति रहते बात नहीं करेगा तालिबान- इमरान
तालिबान को सत्ता साझेदारी का प्रस्ताव देने की खबर ऐसे समय आई है, जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि अशरफ गनी के राष्ट्रपति रहते हुए तालिबान अफगानिस्तान सरकार से बात नहीं करेगा।
खान ने कहा कि मौजूदा हालातों में कोई राजनीतिक समाधान निकलना बेहद मुश्किल है।
उन्होंने कहा, "तीन-चार महीने पहले मैंने तालिबान को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि गनी के राष्ट्रपति रहते हुए अफगान सरकार से बात नहीं की जा सकती।"
जानकारी
गजनी पर भी तालिबान का कब्जा
इससे पहले तालिबान के लड़ाकों ने गजनी पर भी कब्जा कर लिया था। काबुल-कंधार हाईवे पर स्थित यह शहर काबुल से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर है।
अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि तालिबान का कब्जा हटाने के लिए लड़ाई जारी है।
गजनी के साथ ही उत्तर और पश्चिमी अफगानिस्तान से सरकार के कदम उखड़ गए हैं। कुछ जगहें बची हैं, लेकिन उन पर भी कब्जे का डर मंडरा रहा है।
अफगानिस्तान
हफ्तेभर में 10 प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान का कब्जा
गजनी 10वीं प्रांतीय राजधानी है, जिस पर तालिबान ने एक हफ्ते के भीतर अपना कब्जा जमाया है।
तालिबान के बढ़ते कदमों को देखते हुए अमेरिका ने खुफिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा है कि तालिबान 30 दिनों के अंदर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को अलग-थलग कर सकता है और 90 दिन के अंदर काबुल पर कब्जा कर सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगान के सुरक्षाबल लड़कर कब्जे को टाल सकते हैं।
संघर्ष
तालिबान के कब्जे में आया 65 प्रतिशत अफगानिस्तान
बता दें कि तालिबान ने 65 प्रतिशत अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और उसकी निगाह अब काबुल पर है।
देश के बाकी हिस्सों में हो रही हिंसा से बचकर हजारों नागरिक काबुल आ रहे हैं और तालिबान के आतंकियों के इनमें मिलकर शहर में घुसने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
आशंका है कि आतंकी राजनयिक इलाकों में घुस कर आत्मघाती हमला कर सकते हैं। बाकी देश जल्द अपने नागरिकों को निकालने की कोशिश में हैं।
क्रूरता
आम नागरिकों पर भी हमला कर रहा तालिबान
तालिबान ने खुद में बदलाव का चोला भी उतार फेंका है और वो आम नागरिकों पर भी हमला कर रह है। एक गांव में तो उसने दर्जनों सैकड़ों निहत्थे आम लोगों की हत्या कर दी।
यही नहीं उसने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने वाले भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पहचान करने के बाद नृशंसता से हत्या की।
इसके अलावा अफगान सरकार के मीडिया विभाग के प्रमुख दवा खान मिनापाल की भी शुक्रवार को हत्या कर दी गई।