बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ले रहे पाकिस्तानी आतंकी
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी आतंकवादियों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग दी जा रही है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, एयर स्ट्राइक के बाद जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को अफगानिस्तान भेज दिया गया है और वहीं पर उनकी ट्रेनिंग हो रही है। इन दोनों ने अफगानिस्तान के तालिबान और हक्कानी नेटवर्क से हाथ मिला लिया है। एयर स्ट्राइक के अलावा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में ब्लैकलिस्ट होने के डर से भी पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास दी जा रही ट्रेनिंग
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की मदद से जैश और लश्कर के आतंकियों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान को अलग करने वाली दुरंद लाइन के पास ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें कुनार, नंगरहार, नूरिस्तान और कंधार के इलाके मुख्यतौर पर शामिल हैं। खुफिया एजेंसियों ने अफगानिस्तान के काबुल और कंधार में भारत के राजनयिक मिशनों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है, जिन पर हमले का खतरा है।
मोदी सरकार को नहीं पाकिस्तान की कार्रवाई पर भरोसा
पाकिस्तान के ऐसा करने के पीछे दो अहम कारण माने जा रहे हैं। पहला ये कि मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की कार्रवाई को दिखावा मान रही है और एयर स्ट्राइक जैसे खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
FATF ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए पाकिस्तान ने किया ऐसा
वहीं, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान ने ऐसा FATF में ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए किया है। फ्रांस के पेरिस में इस साल के अंत में FATF की बैठक होनी है, जिसमें पाकिस्तान के भविष्य पर फैसला हो सकता है। इसी ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए पाकिस्तान ने हाल ही में लश्कर के सरगान हाफिज सईद और उसके 12 सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी जल्द गिरफ्तारी की बात कही है।
काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले का खतरा
मामले से संबंधित कुछ लोगों का ये भी कहना है कि पाकिस्तान की इस कार्रवाई के बीच भी काबुल में भारतीय दूतावास समेत उसके राजनयिक प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमले का खतरा बना हुआ है। ये खतरा हाजी अब्दुल साफी के नेतृत्व वाले जैश के समूह से है। वहीं, एक अन्य आतंकी कारी वारी गुल के वाहन में लगे IED बम से काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले का खतरा भी है।
कंधार स्थित वाणिज्य दूतावास पर भी हमले का खतरा
इसके अलावा कंधार स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर तालिबान के हमले का खतरा भी बना हुआ है। मामले से संबंधित लोगों को कहना है कि ये खतरे बेहद गंभीर है और इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।
तालिबान और हक्कानी नेटवर्क ने दी थी मसूद अजहर को शरण
खुफिया रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया है कि फरवरी में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क ने ही जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर को शरण दी थी। लेकिन कुछ समय बाद उसे भावलपुर में पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में रहना ज्यादा बेहतर लगा। फरवरी में ही पुलवामा में जैश के आतंकी ने CRPF पर कैंप पर हमला किया था, जिसके जवाब में 26 फरवरी को भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश के ट्रैनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी।
अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ा रहा है जैश
बता दें कि इसी साल जनवरी में अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल ने जैश आतंकियों सैदिक अकबर और अताउल्लाह को जलालाबाद में गिरफ्तार किया था। वो काबुल जा रहे थे। इन दोनों को भावलपुर और बालाकोट ट्रेनिंग कैंपों में ट्रेनिंग दी गई थी। उन्हें काबुल और कंधार में भारतीय प्रतिष्ठानों पर नजर रखने को कहा गया था। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद अफगानिस्तान में जैश के बढ़ते प्रभाव के बारे में पता चला था।