#NewsBytesExplainer: कभी बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे ईरान और पाकिस्तान, जानें बदलते रिश्तों की कहानी
क्या है खबर?
पाकिस्तान और ईरान के संबंध अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। पहले ईरान ने बलूचिस्तान में एयर स्ट्राइक की, जिसमें 2 बच्चों की मौत हो गई।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी ईरान के सीमावर्ती इलाकों पर हमला किया है, जिसमें 4 बच्चों समेत 7 लोगों के मारे जाने की खबर है।
आइए समझते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंध कैसे रहे हैं और अब क्यों बिगड़ गए।
शुरुआत
शुरुआत में कैसे थे पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते?
1947 में जब पाकिस्तान बना तो ईरान उसे मान्यता देने वाला पहला देश था। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने 1949 में ईरान की राजधानी तेहरान का दौरा किया था।
इसके अगले ही साल ईरान के शाह ने भी पाकिस्तान की यात्रा की थी। पाकिस्तान जाने वाले वे पहले राष्ट्रध्यक्ष थे। इसी साल दोनों देशों के बीच एक संधि भी हुई थी।
पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास भी ईरान में ही खोला था।
युद्ध
भारत के खिलाफ युद्ध में ईरान ने दिया था पाकिस्तान का साथ
पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में ईरान ने पाकिस्तान को कई विमान और युद्ध सामग्रियां दी थीं।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी ईरान ने पाकिस्तान को राजनयिक और सैन्य समर्थन दिया था।
बलूचों ने जब पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ा तो भी ईरान ने पाकिस्तान की मदद की थी।
इसके बदले में पाकिस्तान के वैज्ञानिकों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रमों में मदद की।
कारोबार
दोनों देशों के बीच कैसे हैं कारोबारी रिश्ते?
ईरान-पाकिस्तान में बेहद मजबूत कारोबारी संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता है। ईरान पाकिस्तान को बिजली, टमाटर, लौह अयस्क, मसाले और कच्चे तेल की आपूर्ति करता है।
2021 में दोनों देशों के बीच 52,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। दोनों देश चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना का भी हिस्सा हैं।
तेल की आपूर्ति के लिए ईरान-पाकिस्तान के बीच तेल पाइपलाइन भी है।
खटास
फिर रिश्तों में क्यों आई खटास?
1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के संबंध खराब होने लगे। इसकी बड़ी वजह शिया और सुन्नी मतभेद भी रहे। ईरान की बहुसंख्यक आबादी शिया, जबकि पाकिस्तान की आबादी सुन्नी मुस्लिमों की है।
1989 में अफगानिस्तान से सोवियत संघ की वापसी के बाद दोनों देशों में टकराव और बढ़ा। 1990 के दशक में लाहौर में ईरानी राजनयिक और ईरानी वायुसेना के 5 कैडेटों की निर्मम हत्या ने संबंधों को और बिगाड़ दिया।
2021
2021 के आसपास दोबारा सुधरने लगे थे पाकिस्तान-ईरान संबंध
2021 के बाद से पाकिस्तान-ईरान के संबंध फिर से सामान्य होने लगे थे। दोनों देशों ने कई समझौते किए, एक बिजली वितरण लाइन शुरू की, जिससे द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ा था।
पिछले साल ही पाकिस्तान सेना के प्रमुख असीम मुनीर ने ईरान का दौरा किया था। हाल ही में दोनों देशों की नौसेनाओं ने होरमुज में युद्धाभ्यास भी किया था।
17 जनवरी के हमले से ठीक पहले ईरान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।
सीमा
पाकिस्तान-ईरान साझा करते हैं 900 किलोमीटर लंबी सीमा
पाकिस्तान और ईरान 904 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। ईरान के पूर्वी सीमा में सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत है, जो पाकिस्तान के पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ा हुआ है। इसका बलूचिस्तान ऐसा इलाका है, जो दोनों देशों में फैला हुआ है।
ये इलाका मादक पदार्थों और आतंकवाद का केंद्र है, इसलिए यहां आबादी कम है। यहां ज्यादातर आबादी बलूच और पश्तून लोगों की है। सांप्रदायिक मतभेदों और बलूच अलगाववादियों की वजह से ये इलाका अक्सर अशांत रहता है।