
#NewsBytesExplainer: क्या है ईरान में 1,000 स्कूली छात्राओं को कथित जहर देने का मामला?
क्या है खबर?
ईरान में पिछले तीन महीने में 1,000 से ज्यादा स्कूली छात्राएं बीमार हो गई हैं। देश के कम से कम 10 प्रांतों के 30 स्कूलों की छात्राओं में तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आए हैं।
छात्राओं में उल्टी, सांस लेने में परेशानी, बदन दर्द जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इसके पीछे उन्हें कथित तौर पर जहर देने के आरोप लग रहे हैं।
आइये समझते हैं कि पूरा मामला क्या है।
पहला केस
सबसे पहला मामला कहां मिला?
छात्राओं के बीमार होने का पहला मामला नवंबर, 2022 में ईरान के कोम शहर में सामने आया था।
यहां के नूर टेक्नीकल स्कूल की 18 छात्राओं की तबीयत एक साथ खराब हो गई थी, जिसके बाद कुछ को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
सभी बीमार छात्राओं में उल्टी, सांस लेने में परेशानी और बदन दर्द जैसी समस्या सामने आ रही थी। हालांकि, प्राथमिक उपचार के बाद सभी छात्राएं ठीक हो गई थीं।
बीमार
30 स्कूलों की छात्राएं बीमार
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान के 31 प्रांतों में से 10 में छात्राओं के बीमार होने के मामले सामने आए हैं। करीब 30 स्कूलों की छात्राएं बीमार हुई हैं। बीमार होने वालों में मामूली संख्या में कुछ छात्र भी शामिल हैं।
वहीं, ईरान के स्थानीय मीडिया ने बताया कि 60 स्कूलों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। 1 मार्च को ही देश के 26 स्कूलों में दर्जनों लड़कियों के बीमार होने की खबर आई थी।
जानकारी
अभी तक किसी की जान नहीं गई
पूरे ईरान में स्कूली छात्राओं के बीमार होने की खबरें आ रही हैं। राहत की बात यह है कि अभी तक किसी की जान नहीं गई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राथमिक उपचार के बाद ही बीमार लोग ठीक हो जा रहे हैं।
वजह
छात्राओं के बीमार होने की वजह क्या है?
छात्राओं के बीमार होने की असल वजह सामने नहीं आई है।
ईरान के उप स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने कहा था, "छात्राओं को केमिकल के जरिए जहर दिया गया है, जो सैन्य ग्रेड का नहीं हैं और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। कुछ लोग चाहते हैं कि लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाए और स्कूल बंद कर दिए जाएं।"
उनका कहना था कि स्कूलों के पानी में केमिकल मिलाया जा रहा है।
राष्ट्रपति
मामले पर ईरानी राष्ट्रपति का क्या कहना है?
3 मार्च को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने इन घटनाओं को दुश्मन देशों की साजिश बताया। उन्होंने कहा था, "इस तरह के मामले लोगों में भय और निराशा पैदा करने के लिए दुश्मन देशों की साजिश है।"
हालांकि, इससे पहले वे मामले की जांच कराने की बात भी कह चुके हैं।
वहीं, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय में अमेरिका और जर्मनी ने मामले की पारदर्शी जांच कराने का आह्वान किया है।
प्रदर्शन
दोबारा सड़क पर उतर रही है ईरान की जनता
देशभर में छात्राओं की कथित बीमारी को लेकर 4 मार्च को गुस्साए परिजनों ने राजधानी तेहरान में शिक्षा मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सरकार विरोधी नारे लगाए गए।
इससे पहले कोम शहर में गवर्नर कार्यालय के सामने करीब 100 लोगों ने प्रदर्शन किया था।
इस्फहान और रश्त सहित कई शहरों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तीन महीने बीतने के बाद अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
महसा अमीनी
महसा अमीनी की मौत के बाद बढ़े इस तरह के मामले
छात्राओं में बीमारी के मामले कथित तौर पर 16 सितंबर, 2022 को महसा अमीनी की मौत के बाद बढ़ना शुरू हुए हैं।
दरअसल, 16 सितंबर को 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।
पुलिस पर आरोप लगा कि हिजाब न पहनने की वजह से महसा का प्रताड़िता किया गया। इसके बाद पूरे ईरान में सैकड़ों लकड़ियां ने विरोध प्रदर्शन करते हुए हिजाब को उतार फेंका था।
हिजाब
ईरान में हिजाब को लेकर है सख्त कानून
1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद महिलाओं के लिए सख्त ड्रेस कोड लागू किया गया। इसमें महिलाओं को ढीले कपड़े पहनने और सिर पर स्कार्फ या हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। ऐसा न करने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान है।
महिलाओं के हिजाब और पहनावे पर निगरानी के लिए नैतिकता पुलिस भी थी, जिसे गश्त-ए-इरशाद नाम से जाना जाता था। हालांकि, हालिया प्रदर्शनों के बाद नैतिकता पुलिस को खत्म कर दिया गया है।