अयोध्या की राजकुमारी जो बनीं दक्षिण कोरिया की महारानी, जानिए उनकी कहानी
क्या है खबर?
अयोध्या को भगवान राम के जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से इसकी पूरे देश में चर्चा हो रही है।
इसके अलावा अयोध्या कई दक्षिण कोरियाई लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। कई लोग मानते हैं कि वे शहर में अपने वंश का पता लगा सकते हैं।
ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी भारतीय राजकुमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दक्षिण कोरिया की महारानी बनीं। आइए जानें।
जानकारी
सूरीरत्ना ने कोरियाई राजा से शादी करके शुरू की एक वंश की शुरुआत
यह विश्वास कई ऐतिहासिक कोरियाई कहानियों से आया है, जिसमें एक भारतीय राजकुमारी का ज़िक्र मिलता है। उनका नाम सूरीरत्ना था, जिन्होंने कोरियाई राजा से शादी की और एक वंश की शुरुआत की।
कथा
क्या कहती है पौराणिक कथा?
किंवदंती के अनुसार, राजकुमारी सूरीरत्ना, जिन्हें हेओ व्हाँग-ऑक के नाम से भी जाना जाता है, लगभग 2,000 साल पहले 48 ईसवी में कोरिया गई थीं। वहाँ उन्होंने स्थानीय राजा से शदी करके वंश की शुरुआत की थी।
कुछ चीनी भाषा के ग्रंथों में दावा किया गया है कि अयोध्या के तत्कालीन राजा ने एक सपना देखा था, जहाँ भगवान ने उन्हें किम सुरो से शदी करने के लिए अपनी 16 वर्षीय बेटी को दक्षिण कोरिया भेजने का आदेश दिया था।
जानकारी
प्राचीनकाल में अयोध्या का नाम था अयुता
एक लोकप्रिय दक्षिण कोरियाई किताब 'सैमगुक युसा' जिसमें दंतकथाएँ और ऐतिहासिक कहानियाँ हैं, में उल्लेख है कि महारानी व्हाँग-ऑक "अयुता" साम्राज्य की राजकुमारी थीं।
किम और व्हाँग-ऑक की शाही शादी हुई और दोनों के 10 बेटे भी हुए। इसके अलावा दोनों 150 से अधिक सालों तक जीवित रहे।
किम ब्युंग-मो नाम के एक मानवविज्ञानी ने कहा कि वास्तव में अयुता, अयोध्या था, क्योंकि दोनों नाम ध्वन्यात्मक रूप से समान हैं।
शुरुआत
करक वंश के बारे में जानें
किम, कोरिया में एक सामान्य उपनाम है और राजा किम सुरो को किम वंश का जनक माना जाता है, जो कि किमहये में स्थित है।
कोरियाई सेवा के मिंजी ली कहते हैं, "कोरिया में पारंपरिक रूप से बच्चे अपने पिता का उपनाम लेते हैं, लेकिन राजा सुरो ने अपने दोनों बेटों को रानी का नाम (हेओ) रखने की आज्ञा दी, जिसका इस्तेमाल आज तक किया जाता है।
इसके बाद ही करक वंश की शुरुआत हुई।
आबादी
कोरिया में करक वंश के लोगों की संख्या है 10%
वर्तमान इतिहासकार कहते हैं कि उस वंश के लोगों की संख्या 60 लाख से अधिक है, जो दक्षिण कोरिया की कुल आबादी का लगभग 10% है।
करक वंश के लोगों ने उन चट्टानों को भी संरक्षित किया है, जिसे राजकुमारी ने अपनी समुद्र यात्रा के दौरान अपने नाव को स्थिर रखने के लिए किया था।
दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डे-जंग और पूर्व प्रधानमंत्री किम जोंग-पिल का भी संबंध करक वंश से था।
जानकारी
थाईलैंड से थीं राजकुमारी: मान्यता
इसके अलावा कोरिया के कुछ लोगों का मानना है कि राजकुमारी वास्तव में थाईलैंड की थीं, क्योंकि अयुता वास्तव में थाईलैंड का आयुत्या साम्राज्य हो सकता है। वहीं, कुछ लोग इस कहानी को 'पारिवारिक मजाक' की तरह कहते हैं।
मातृभूमि
करक वंश के लोगों का एक समूह हर साल आता है अयोध्या
दक्षिण कोरिया में राजकुमारी की जो क़ब्र है, उसके बारे में कहा जाता है कि उसपर लगा पत्थर अयोध्या से ही गया था।
अयोध्या और किमहये शहर का संबंध 2001 से ही शुरू हुआ है। करक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फ़रवरी-मार्च के दौरान इस राजकुमारी की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता रहता है।
इसके अलावा वर्तमान में समय-समय पर अयोध्या के भी कुछ प्रमुख लोग किमहये शहर की यात्रा करने लगे हैं।