जयदेव उनादकट के 12 साल पहले खेले गए डेब्यू टेस्ट मैच से जुड़ी खास यादें
भारतीय तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट ने 12 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी की है। 2010 में अपना पहला टेस्ट खेलने वाले बाएं हाथ के गेंदबाज को बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे और अंतिम टेस्ट के लिए भारतीय एकादश में जगह दी गई। उनादकट की वापसी ऐतिहासिक रही, क्योंकि वह टेस्ट डेब्यू करने के बाद सबसे लंबे समय तक टीम से बाहर रहने वाले पहले भारतीय हैं। उनादकट के डेब्यू के समय राहुल द्रविड़ भारत के प्रमुख टेस्ट बल्लेबाज थे।
ढाका टेस्ट के पहले दिन का खेल और उनादकट का प्रदर्शन
ढाका टेस्ट के पहले दिन का खेल खत्म होने पर भारत ने पहली पारी में बिना विकेट खोए 19 रन बनाए। कप्तान केएल राहुल 3 और शुभमन गिल 14 रन बनाकर नाबाद रहे। इससे पहले बांग्लादेश की पहली पारी 227 रनों पर सिमट गई। मौमिनुल हक 84 रन बनाकर टॉप स्कोरर रहे। भारत की ओर से उमेश यादव और रविचंद्रन अश्विन ने चार-चार विकेट लिए। वापसी मैच में उनादकट ने 16 ओवर में 50 रन देकर दो विकेट लिए हैं।
उनादकट के डेब्यू के बाद भारत ने खेले 118 टेस्ट
उनादकट इस फॉर्मेट में अपने पहले और दूसरे मैच के बीच 118 टेस्ट खेलने से चूक गए। वह दो टेस्ट मैचों के बीच 100 या उसके अधिक टेस्ट मिस करने वाले पहले भारतीय और ओवरऑल छठे खिलाड़ी हैं। भारतीयों में अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक इस सूची में दूसरे नंबर पर हैं, जिन्होंने 87 टेस्ट मिस किए थे। जब उनादकट ने टेस्ट डेब्यू किया था तो एक पूरी तरह से अलग भारतीय टेस्ट सेटअप था।
द्रविड़ ने उस मैच में बनाए थे 57 रन
उनादकट ने 2010-11 में भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर सेंचुरियन टेस्ट में अपना डेब्यू किया था। यह चेतेश्वर पुजारा से पहले का युग था, जब राहुल द्रविड़ नंबर तीन पर भारत के प्रमुख आधार स्तंभ थे। उन्होंने उस मैच में 14 और 43 रन बनाए थे। भारतीय क्रिकेट टीम उस मैच में एक पारी और 25 रन से हार गई थी। द्रविड़ ने जनवरी 2012 में संन्यास लेने से पहले 12 महीनों में अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेला था।
कोहली ने नहीं की थी टेस्ट करियर की शुरुआत
उनादकट के डेब्यू के समय विराट कोहली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत नहीं की थी। उनादकट के टेस्ट डेब्यू (16 दिसंबर, 2010) तक कोहली ने भारत की वनडे टीम में अपनी जगह पक्की कर ली थी। कोहली तब तक 40 वनडे मैचों में चार शतकों के सहारे 1,479 रन बना चुके थे। तब उन्हें वनडे विश्व कप 2011 के लिए तैयार किया जा रहा था। कोहली ने अपना टेस्ट डेब्यू जून 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था।
महेंद्र सिंह धोनी कर रहे थे भारतीय टीम का नेतृत्व
महेन्द्र सिंह धोनी उस समय सभी फॉर्मेट में भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने चार साल बाद कोहली को कप्तानी सौंपी। इसके बाद कोहली टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल कप्तान बने। वह कप्तानी के मामले में महान खिलाड़ियों में शुमार हैं।
उनादकट के डेब्यू के समय अश्विन ने नहीं खेला था टेस्ट क्रिकेट
भारत के सबसे सफल ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन तब एक गुमनाम खिलाड़ी थे। जून 2010 में अश्विन भारत के जिम्बाब्वे दौरे पर सीमित ओवर्स के दल में शामिल हुए थे। उन्होंने एक साल बाद (नवंबर 2011) में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। उनादकट की शुरुआत के समय पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह सभी फॉर्मेट में भारत के विशेषज्ञ स्पिनर थे। 2010 सेंचुरियन टेस्ट में उन्होंने 169 रन देकर दो विकेट लिए थे।
तब तेंदुलकर ने जमाया था अपना 50वां टेस्ट शतक
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर 2010 में अपने शानदार करियर के अंत में थे। उन्होंने दूसरी पारी में शानदार 111* रन (241 गेंद) बनाए थे। तब तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट में 50 शतक पूरे करने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। विशेष रूप से, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में शानदार शतक (146 रन) जड़ा था। वो उनके करियर का 51वां और आखिरी टेस्ट शतक था।
डेब्यू मैच में कैसा था उनादकट का प्रदर्शन?
सेंचुरियन में उनादकट का टेस्ट क्रिकेट डेब्यू उनके लिए साधारण था। उन्होंने प्रोटियाज की पहली पारी में 26 ओवर में 101 रन लुटाए थे। बाएं हाथ के यह तेज गेंदबाज उस मैच में एक भी विकेट लेने में नाकाम रहे थे।