चंद्रयान-3 ने सल्फर खोजने समेत चांद की सतह पर अब तक क्या-क्या किया?
क्या है खबर?
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 ने बीते दिन चांद की सतह पर सल्फर की उपस्थिति की जानकारी दी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने बताया कि रोवर ने पहली बार इन-सीटू प्रयोग के जरिए दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की।
संस्थान ने कहा कि उपकरण ने उम्मीद के मुताबिक एल्युमिनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया।
आइए जान लेते हैं चंद्रयान-3 ने अब तक क्या-क्या किया।
सल्फर
LIBS ने की सल्फर की खोज
सल्फर जीवन के लिए जरूरी तत्वों में से एक है। पृथ्वी पर वनस्पतियों और जीवों को जीवित रखने में इसकी बड़ी भूमिका है। वनस्पतियां मिट्टी या समुद्र से अपने लिए सल्फर प्राप्त करती हैं।
मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारी को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण तत्व है।
रोवर में लगे लेजर इंड्यूज्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण के जरिए चांद की सतह पर सल्फर का पता लगाया गया है।
हाइड्रोजन का पता लगाने का प्रयास जारी है।
तापमान
दक्षिणी ध्रुव पर तापमान को मापा गया
चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान का अनुमान भी लगाया है। इसके लिए चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट यानी चास्टे (ChaSTE) पेलोड का इस्तेमाल किया गया।
यह पेलोड लैंडर पर लगा है और सेंसर के जरिए तापमान को मापता है।
इससे वैज्ञानिकों को चांद की सतह के तापीय व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी।
चास्टे द्वारा प्रदान की गई दक्षिणी ध्रुव की पहली तापमान प्रोफाइल का विश्लेषण वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।
क्रेटर
रोवर को मिला 4 मीटर चौड़ा गड्ढा
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारी संख्या में क्रेटर (गड्ढे) हैं। ये गड्ढे ही चांद के दक्षिणी ध्रुव की खोज में चुनौती पेश करते हैं। इन्हीं के चलते चांद के दक्षिणी ध्रुव में मिशन की लैंडिंग काफी चुनौतीपूर्ण थी।
हाल के एक अपडेट में ISRO ने खुलासा किया कि प्रज्ञान रोवर को अपनी यात्रा के दौरान 4 मीटर चौड़े खतरनाक गड्ढे का सामना करना पड़ा। इसके बाद ISRO ने थोड़ा वापस बुलाकर एक दूसरे रास्ते पर भेजा।
उद्देश्य
ये थे मिशन के उद्देश्य
चंद्रयान-3 मिशन के 3 उद्देश्य थे, जिनमें पहला उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग थी। दूसरा उद्देश्य रोवर का चांद की सतह पर चलना था। ये 2 उद्देश्य तो पूरे हो गए।
मिशन का तीसरा उद्देश्य इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग यानी चांद की सतह पर ही उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक प्रयोग किया जाना था। इन-सीटू प्रयोग अभी जारी हैं।
इन प्रयोगों के जरिए मिले डाटा से वैज्ञानिकों को चांद की सतह और वहां मौजूद केमिकल्स के बारे में जानकारी मिलेगी।
भारत
न्यूजबाइट्स प्लस
14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंड हुआ था। इसकी सफलता ने भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल कर दिया, जिनके पास चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता है।
रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चौथा देश है, जिसने यह उपलब्धि हासिल की है।
इसकी लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव के पास कराई गई और भारत ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश है।