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    आदित्य-L1: ISRO के इस मिशन के बजट से लेकर इसके कार्यकाल तक, जानें रोचक बातें
    आदित्य-L1 भारत का पहला सौर आधारित अंतरिक्ष मिशन है

    आदित्य-L1: ISRO के इस मिशन के बजट से लेकर इसके कार्यकाल तक, जानें रोचक बातें

    लेखन रजनीश
    Sep 01, 2023
    07:19 pm

    क्या है खबर?

    भारत के पहले सौर आधारित अंतरिक्ष मिशन आदित्य-L1 को 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया जाएगा। 1 सितंबर, 2023 से दोपहर 12:10 बजे से इसके लॉन्चिंग की 23 घंटे 40 मिनट की उलटी गिनती शुरू हो गई है।

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वेबसाइट, फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल से इसकी लॉन्चिंग को लाइव देखा जा सकेगा।

    आदित्य-L1 मिशन से एक नए युग की शुरुआत की उम्मीद है।

    जान लेते हैं इस मिशन के रोचक तथ्य।

    नाम

    पहले आदित्य-1 था मिशन का नाम

    आदित्य-L1 मिशन को शुरुआत में आदित्य-1 नाम दिया गया था।

    इसे सूर्य और पृथ्वी के लैग्रेंज बिंदु 1 या L1 के हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इस वजह से इसका नाम बदलकर आदित्य-L1 कर दिया गया।

    यह L1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर (चांद से लगभग 4 गुना ज्यादा) दूर है।

    L1 बिंदु पर पहुंचने के बाद आदित्य-L1 तेजी से सौर गतिविधियों की जानकारी देगा। इससे वैज्ञानिकों को सौर रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी।

    पेलोड

    भेजे जाएंगे 7 पेलोड

    आदित्य-L1 मिशन के साथ 7 पेलोड भेजे जाएंगे। इनमें से 4 पेलोड रिमोट सोलर सेंसिंग के लिए और 3 इन-सीटू प्रयोग के लिए हैं।

    रिमोट सेंसिंग पेलोड सूर्य के क्रोमोस्फीयर, कोरोना और फोटोस्फीयर परतों का गहन विश्लेषण करने का काम करेंगे और इनके जटिल रहस्यों के बारे में जानकारी देंगे।

    इन-सीटू पेलोड सौर हवा, चुंबकीय क्षेत्र की विविधताओं और एनर्जेटिक पार्टिकल्स के प्रवाह का अध्ययन करेंगे। इससे तारे के बारे में व्यापक समझ बढ़ेगी।

    बजट

    5 वर्ष है मिशन का कार्यकाल

    1,000 करोड़ रुपये के बजट वाले आदित्य-L1 मिशन को L1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग 4 महीने का समय लगेगा और यह कम से कम 5 साल तक काम करेगा।

    5 वर्ष की अवधि पृथ्वी के जलवायु पैटर्न और अंतरिक्ष के मौसम की घटनाओं आदि के बारे में जानने के लिए बहुत है।

    इस अवधि में सूर्य के सतह पर होने वाले विस्फोटों और सोलर विंड के बारे में भी कई नई जानकारियां मिलेंगी।

    बनावट

    पृथ्वी पर भेजेगा रोजाना 1,440 तस्वीरें

    आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान एक फ्रीज के आकार का है, लेकिन इसका वजन लगभग 1,500 किलोग्राम है।

    इसे उन्नत कार्बन फाइबर कंपोजिट से बनाया गया है, जिससे यह मजबूत होने के साथ ही लचीलेपन का गुण भी रखता है।

    अत्याधुनिक सौर पैनलों और बैटरी सिस्टम के साथ ही यह अंतरिक्ष यान एक हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस है। ये हाई क्वालिटी कैमरा सूर्य की स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम है।

    यह पृथ्वी पर रोजाना लगभग 1,440 तस्वीरें भेजेगा, जिनका विश्लेषण किया जाएगा।

    प्लस

    न्यूजबाइट्स प्लस

    भारत से काफी समय पहले अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने-अपने सौर मिशन लॉन्च किए हैं। कुछ देश नए मिशनों की तैयारी में भी हैं।

    सबसे ज्यादा सौर मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भेजे हैं। जर्मनी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर अपने पहले सूर्य मिशन वर्ष 1974 और 1994 में भेजे थे।

    जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने वर्ष 1981 में अपना पहला सौर अवलोकन सैटेलाइट लॉन्च किया था।

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