चंद्रयान-3 चांद पर कब पहुंचेगा? इन 10 चरणों में होगी इसकी लैंडिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने सफलतापूर्वक भारत का चांद मिशन चंद्रयान-3 शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे लॉन्च कर दिया। आज से लगभग 40 दिन बाद 23-24 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंचेगा। चांद की सतह पर पहुंचने से पहले चंद्रयान-3 कई चरणों से गुजरेगा। चांद की सतह पर पहुंचने के लिए इसकी सॉफ्ट लैंडिंग भी जरूरी है। जान लेते हैं चंद्रयान-3 की चांद की यात्रा के बारे में।
10 चरणों में चांद पर पहुंचेगा चंद्रयान-3
इस मिशन के शुरुआती 3 चरण हैं। अर्थ सेंट्रिक फेज यानी लॉन्च से पहले का चरण, जो हो चुका है। इसके बाद लूनर ट्रांसफर फेज, यानी लॉन्चिंग के साथ ही रॉकेट के अंतरिक्ष तक पहुंचने का चरण, यह भी सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। इसके बाद आता है मून सेंट्रिक चरण, यानी अंतरिक्ष से चांद तक का सफर। इस मून सेंट्रिक चरण के तहत चंद्रयान-3 को 10 चरण पार करने होंगे।
पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाने से होगी शुरुआत
इसके पहले चरण में चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों तरफ 6 चक्कर लगाएगा। दूसरे चरण में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की तरफ भेजा जाएगा। इस फेज में अंतरिक्ष यान लंबे सोलर ऑर्बिट से होते हुए चांद की तरफ बढ़ेगा। इसके बाद तीसरे चरण में चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा, जिसे लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI) कहते हैं। चौथे चरण में चंद्रयान-3 चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर (7-8 बार) लगाना शुरू कर देगा।
पांचवें चरण से शुरू होता है चांद की सतह पर बढ़ने का काम
पांचवें चरण में लैंडर चांद की सतह की तरफ बढ़ेगा, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग होंगे। छठवें चरण में डी-बूस्ट फेज यानी लैंडर के गिरने की गति कम की जाएगी। सातवें चरण में लैंडर की लैंडिंग से पहले की तैयारी की जाएगी और आठवें चरण में लैंडर चांद की सतह पर लैंड करेगा। नौवें चरण में लैंडर और रोवर सामान्य स्थिति में पहुंचेंगे। दसवें चरण में प्रोपल्शन वापस चांद की 100 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचेगा।
सॉफ्ट लैंडिंग से पूरा होगा मिशन का उद्देश्य
इस पूरी प्रक्रिया में लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग चुनौतीपूर्ण काम होगा। दरअसल, वर्ष 2019 में चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाने से मिशन अधूरा रह गया था। चांद पर पृथ्वी के मुकाबले गुरुत्वाकर्षण कम होने के कारण लैंडर की लैंडिंग कठिन हो जाती है। थोड़ी भी गलती होने पर लैंडर चांद की सतह पर मौजूद चट्टानों से टकरा सकता है, जिससे लैंडर में खराबी आ सकती है।
चांद की सतह पर उतरने के लिए नियंत्रित करनी होती है लैंडर की गति
एक रिपोर्ट में चंद्रयान-2 का हिस्सा रहे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के हवाले से बताया गया कि चांद की तरफ जाने वाला लैंडर जब प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होकर चांद की सतह पर उतरता है तो उसके चांद की सतह पर गिरने और उसके कंपन की गति दोनों को सावधानी पूर्वक नियंत्रित करना होता है। सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की गति को सही समय पर ऑटोमैटिक 3 मीटर प्रति सेकंड तक कम करने की आवश्यकता होती है।