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शुभांशु शुक्ला आज अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से होंगे रवाना होंगे, कल पहुंचेंगे पृथ्वी पर
शुभांशु शुक्ला आज अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से होंगे रवाना होंगे (तस्वीर: नासा)

शुभांशु शुक्ला आज अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से होंगे रवाना होंगे, कल पहुंचेंगे पृथ्वी पर

Jul 14, 2025
10:19 am

क्या है खबर?

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से आज (14 जुलाई) पृथ्वी के लिए रवाना होंगे। वह भारतीय समयानुसार आज शाम 04:30 बजे ISS से अनडॉक होंगे। उनकी वापसी स्पेस-X के ड्रैगन यान से होगी, जिसमें उनके साथ 3 अंतरराष्ट्रीय साथी भी होंगे। इस मिशन की वापसी यात्रा करीब 21 घंटे लंबी होगी। स्प्लैशडाउन के बाद उन्हें 7 दिन के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा, ताकि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप शरीर ढल सके।

संदेश 

विदाई समारोह में दिया भावपूर्ण संदेश 

विदाई समारोह 13 जुलाई को आयोजित किया गया, जहां शुक्ला ने भावुक संदेश में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भारत सरकार और अपने साथियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह मिशन केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि मानवता की साझा उपलब्धि है। शुक्ला ने कहा कि मिशन भारत के युवाओं को सीमाओं से परे सोचने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा। उन्होंने राकेश शर्मा को याद करते हुए कहा, "आज भारत अंतरिक्ष से आत्मविश्वासी और गौरवान्वित दिखता है।"

वापसी

कब पृथ्वी पर होगी वापसी?

स्पेस-X का ड्रैगन अंतरिक्ष यान भारतीय समयानुसार कल (15 जुलाई) दोपहर करीब 03:00 बजे कैलिफोर्निया तट पर लैंड करेगा। स्प्लैशडाउन के बाद, सभी अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वातावरण में ढलने के लिए विशेष चिकित्सा निगरानी और व्यायाम कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। भारत में शुक्ला की वापसी को लेकर गर्व और उत्साह का माहौल है, जहां उनका भव्य, सम्मानजनक और ऐतिहासिक स्वागत बड़े हर्षोल्लास और राष्ट्रीय गौरव के साथ किया जाएगा।

मिशन

एक्सिओम-4 मिशन में किए 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग 

शुक्ला एक्सिओम स्पेस के एक्सिओम-4 मिशन के तहत 18 दिनों तक अंतरिक्ष में रहे। इस दौरान उन्होंने 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए जिनमें बीज अंकुरण, सूक्ष्म शैवाल पर प्रयोग, अंतरिक्ष में ग्लूकोज मॉनिटर की जांच और स्पेससूट सामग्रियों का परीक्षण शामिल था। उन्होंने अंतरिक्ष कृषि, जैव ईंधन और अंतरिक्ष में स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े पहलुओं पर अहम योगदान दिया। इस ऐतिहासिक मिशन ने भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं और अंतरिक्ष उड़ानों में भागीदारी को नई पहचान दिलाई।