
उल्कापिंडों से स्पेस स्टेशन को कैसे बचाया जाता है?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष में कई छोटी-बड़ी चट्टानें यानी उल्कापिंड लगातार घूमती रहती हैं।
जब ये तेज गति से चलते हुए किसी सैटेलाइट या स्पेस स्टेशन की दिशा में आते हैं, तो टकराने की संभावना होती है। यह टक्कर बहुत खतरनाक हो सकती है और जान-माल का नुकसान भी कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) और अन्य मिशनों के लिए यह चिंता का विषय होता है। आइए जानते हैं उल्कापिंडों से स्पेस स्टेशन को कैसे बचाया जाता है?
कवच
मजबूत सुरक्षा कवच से होती है रक्षा
स्पेस स्टेशन को उल्कापिंडों से बचाने के लिए इसे खास तरह के मजबूत सुरक्षा कवच से ढका जाता है, जिसे 'व्हीपल शील्ड' कहा जाता है, जो कई परतों वाला होता है।
जब कोई छोटा उल्कापिंड टकराता है, तो वह बाहरी परत से टूटकर बिखर जाता है और अंदर की परतें नुकसान से बचा लेती हैं।
इससे स्टेशन की दीवारों को सीधा नुकसान नहीं पहुंचता और अंदर मौजूद अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहते हैं।
चेतावनी
खतरे से पहले ही चेतावनी दी जाती है
नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां लगातार स्पेस स्टेशन के आसपास की गतिविधियों पर नजर रखती हैं और हर संदिग्ध वस्तु की निगरानी करती हैं।
जैसे ही किसी उल्कापिंड के टकराने की संभावना बनती है, स्टेशन को थोड़ा-बहुत अपनी कक्षा से हटाया जाता है। इसे 'कोलेजन अवॉइडेंस मैन्युवर' कहा जाता है।
इसमें रॉकेट इंजनों की मदद से पूरे स्टेशन को कुछ मीटर दूर सरकाया जाता है, ताकि संभावित टकराव से बचा जा सके।
सुरक्षा
अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का भी प्रबंध
अगर किसी उल्कापिंड के ज्यादा करीब आने की संभावना बनती है और टकराव तय माना जाता है, तो सभी अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन के उस हिस्से में भेज दिया जाता है जो सबसे मजबूत होता है।
इसके साथ ही, बचाव यान जैसे कि स्पेसकैप्सूल को तैयार रखा जाता है, ताकि अगर हालात बिगड़ें तो तुरंत वापसी की जा सके। इस पूरी योजना को पहले से तैयार और बार-बार अभ्यास किया जाता है।