
शुभांशु शुक्ला ने ISS पर किया मांसपेशियों की स्टेम कोशिकाओं का अध्ययन
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस समय एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर मौजूद हैं और वहां विशेष वैज्ञानिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में मांसपेशियों, पाचन और मानसिक स्वास्थ्य पर उपयोगी वैज्ञानिक प्रयोग किए। 'मायोजेनेसिस' नामक प्रयोग के जरिए यह देखा जा रहा है कि माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों की कोशिकाएं कैसे ठीक होती हैं और क्या मेटाबॉलिक सप्लीमेंट्स उनकी मरम्मत में मदद कर सकते हैं या नहीं।
शोध
अंतरिक्ष में मानसिक स्वास्थ्य पर भी हो रहा शोध
पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों ने भी खास वैज्ञानिक काम किए। पोलिश अंतरिक्ष यात्री ने एक हेडसेट के जरिए मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का परीक्षण किया, जो माइक्रोग्रैविटी में मस्तिष्क की गतिविधि को लगातार रिकॉर्ड करता है। मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन ने रक्त प्रवाह और संतुलन को बेहतर ढंग से समझने के लिए अल्ट्रासाउंड डिवाइस का उपयोग किया। बाद में इन सभी ने मिलकर मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित एक विशेष वीडियो सामग्री की शूटिंग की।
अन्य काम
अंतरिक्ष स्टेशन पर अन्य वैज्ञानिक कार्य भी जारी
ISS पर अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने भी मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े कई वैज्ञानिक शोध किए। नासा की ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स ने बायोमेडिकल डिवाइस से मांसपेशियों की प्रतिक्रिया पर विशेष परीक्षण किए। यूरोपीय और जापानी अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने भी हड्डियों के नुकसान, रक्त और मूत्र जांच, वायु गुणवत्ता और दिल की निगरानी जैसे जरूरी वैज्ञानिक काम किए। रूस के अंतरिक्ष यात्रियों ने नए कार्गो यान की तैयारी और पुराने यान में कचरा भरने का कार्य किया।
अन्य
छात्रों के लिए हुआ खास वीडियो और बातचीत की तैयारी
शुक्ला ने अंतरिक्ष में भारतीय छात्रों के लिए पाचन से जुड़ा एक खास वीडियो तैयार किया है, जिसे जल्दी ही बच्चों को दिखाया जाएगा। इसके अलावा, वह 4 जुलाई को अंतरिक्ष से सीधे भारत के विद्यार्थियों से बातचीत भी करेंगे। इसका मकसद बच्चों को अंतरिक्ष के बारे में जानकारी देना और उन्हें इस क्षेत्र के प्रति उत्साहित करना है। यह कोशिश छात्रों को सीखने का अनोखा मौका देने के लिए की जा रही है।