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    ISRO के पास कौन-कौन से लॉन्च व्हीकल हैं? जानिए खासियत और क्षमता
    ISRO के पास अभी 5 प्रमुख लॉन्च व्हीकल हैं

    ISRO के पास कौन-कौन से लॉन्च व्हीकल हैं? जानिए खासियत और क्षमता

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Mar 31, 2025
    10:20 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

    चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 जैसे उसके कई ऐतिहासिक मिशन इसकी सफलता का प्रमाण हैं। इन मिशनों को सफल बनाने में लॉन्च व्हीकल की अहम भूमिका होती है।

    ISRO के पास अभी 5 (PSLV, GSLV, LVM3, SSLV और RLV) प्रमुख लॉन्च व्हीकल हैं। ये रॉकेट अलग-अलग तरह के सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने के लिए बनाए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।

    PSLV 

    PSLV है ISRO का भरोसेमंद रॉकेट

    पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) को 1993 में विकसित किया गया। यह 1,750 किलोग्राम तक के सैटेलाइट सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट (SSO) में भेज सकता है।

    यह ISRO का सबसे विश्वसनीय रॉकेट माना जाता है, जिसने चंद्रयान-1 (2008) और मंगलयान (2013) जैसे ऐतिहासिक मिशन लॉन्च किए।

    इसकी बहु-चरणीय प्रणाली इसे लचीला और प्रभावी बनाती है। PSLV ने 50 से अधिक सफल लॉन्च किए हैं, जिससे यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की रीढ़ बन चुका है।

    GSLV 

    GSLV से भारी सैटेलाइट होते हैं लॉन्च 

    जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) को 2001 में विकसित किया गया।

    यह 5,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेज सकता है। इसका मुख्य आकर्षण क्रायोजेनिक इंजन है, जिससे यह अधिक भार ले जाने में सक्षम है।

    GSAT-6A (2018) और चंद्रयान-2 (2019) इसके प्रमुख मिशन रहे हैं। यह ISRO के भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जो बड़ा इतिहास रच सकता है।

    LVM3

    LVM3 है भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट

    GSLV Mk III, जिसे अब LVM3 कहा जाता है, 2014 में विकसित किया गया और यह ISRO का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल है।

    यह 8,000 किलोग्राम तक के पेलोड को GTO में और 16,000 किग्रा तक के पेलोड को निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में भेज सकता है।

    इसका सबसे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान-2 (2019) और गगनयान (आगामी मानव मिशन) है। यह भारत के गहरे अंतरिक्ष और मानव मिशन कार्यक्रमों का आधार बनने वाला है।

    SSLV 

    SSLV छोटे सैटेलाइट्स के लिए है खास

    स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) को 2022 में विकसित किया गया।

    यह 500 किलोग्राम तक के छोटे सैटेलाइट्स को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेज सकता है। इसका उद्देश्य तेजी से और कम लागत में लॉन्च करना है।

    SSLV लॉन्च व्हीकल का पहला मिशन SSLV-D1 (2022) था, जो आंशिक रूप से असफल रहा, लेकिन SSLV-D2 (2023) सफल रहा। यह छोटे सैटेलाइट स्टार्टअप्स के लिए एक कम लागत और प्रभावी समाधान है।

    RLV 

    RLV है रियूजेबल उपयोग होने वाला रॉकेट

    रियूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) ISRO का भविष्य का प्रोजेक्ट है, जिसे 2023 में पहली बार परीक्षण किया गया।

    इसका उद्देश्य स्पेस-X के फाल्कन 9 की तरह पुन: उपयोग करने योग्य तकनीक विकसित करना है। यह लॉन्चिंग लागत कम करने और बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    RLV के सफल विकास से भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू सकता है।

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