रूस में लॉकडाउन, गगनयान मिशन के लिए तैयार हो रहे एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग पर पड़ा असर
क्या है खबर?
भारत के पहले मानव युक्त अतंरिक्ष मिशन पर जाने के लिए चुने गए भारतीय वायुसेना के चार पायलटों को ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया था।
इन चारों की मॉस्को के पास स्थित स्टार सिटी के गैगरीन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में ट्रेनिंग चल रही थी, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण फिलहाल यह रोक दी गई है।
रूस में लगभग एक लाख मामले सामने आ चुके हैं।
सेहत
चारों एस्ट्रोनॉट्स की सेहत ठीक, डॉक्टर कर रहे निगरानी
भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रूस की सरकारी स्पेस कंपनी ग्लॉवकॉस्मोस के साथ अनुबंध किया था। इसके तहत इन एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग दी जा रही है।
ग्लॉवकॉस्मोस के महानिदेशन जेएससी दिमित्री लॉस्कुतोव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "चारों एस्ट्रोनॉट्स की सेहत ठीक है और GCTC के कुशल डॉक्टर उनकी देखभाल कर रहे हैं। GCTC कर्मचारियों के साथ-साथ इन एस्ट्रोनॉट्स को भी लॉकडाउन का पालन करना जरूरी है।"
लॉकडाउन
रूस में 11 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन
लॉस्कुतोव ने बताया कि देश में कोरोना वायरस की स्थिति की समीक्षा के बाद ही फिर से बड़े स्तर पर इनकी ट्रेनिंग शुरू की जाएगी।
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संक्रमण को रोकने के लिए देश में पहले 30 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाया था, जिसे बढ़ाकर 11 मई तक कर दिया गया है।
पुतिन ने कहा कि देश में अभी मामले चरम पर नहीं पहुंचे हैं और आगे का रास्ता मुश्किल भरा है।
ट्रेनिंग
एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक-चौथाई कोर्स पूरा
चारों एस्ट्रोनॉट्स ने इस साल फरवरी की शुरुआत से रूस में ट्रेनिंग शुरू की थी। अभी तक उनका लगभग एक चौथाई कोर्स पूरा हो चुका है।
लॉस्कुतोव ने कहा कि चारों भारतीय एस्ट्रोनॉट्स ट्रेनिंग प्लान के हिसाब से काम कर रहे हैं। इन चारों ने मानव युक्त स्पेसक्राफ्ट में लगे सिस्टम की जानकारी की परीक्षा पास कर ली है। अब चारों स्वतंत्र रूप से स्पेसक्राफ्ट फ्लाइट थ्योरी की परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं।
ट्रेनिंग
एक सर्जन और ISRO अधिकारी भी रूस में मौजूद
अब इन एस्ट्रोनॉट्स को इमरजेंसी के दौरान उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी जाएगी।
इसमें उन्हें बताया जाएगा कि अगर उनका स्पेसक्राफ्ट असामान्य लैंडिंग करता है तो उन्हें क्या करना होगा। लॉकडाउन हटने के बाद उनकी यह ट्रेनिंग शुरू होगी।
चारों एस्ट्रोनॉट्स के अलावा एक फ्लाइट सर्जन और एक ISRO अधिकारी भी रूस में मौजूद हैं।
फ्लाइट सर्जन्स भारतीय वायुसेना से चुने गए एविएशन मेडिसिन स्पेशलिस्ट्स हैं, जिन्हें एक-एक कर ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा जाएगा।
जानकारी
भारत में भी होगी एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग
फ्लाइट सर्जन स्पेस फ्लाइट से पहले, फ्लाइट के दौरान और उसके बाद एस्ट्रोनॉट्स की सेहत के लिए जिम्मेदार होंगे। इसके लिए उन्हें एक-एक महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। रूस में एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग के बाद उन्हें भारत में भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
ISRO मिशन
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा।
इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं।
मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
गगनयान मिशन
टेस्ट फ्लाइट पर भेजी जाएगी व्योममित्र
माना जा रहा है कि ISRO 2022 में गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा। उससे पहले दो टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी।
इनसे मिले नतीजों और सबक के आधार पर मिशन में कुछ बदलाव किये जा सकते हैं।
टेस्ट फ्लाइट में हाफ ह्यूमनॉयड (इंसान से मिलता-जुलता रोबोट) भेजा जाएगा। ISRO ने कुछ समय पहले इस ह्यूमनॉयड की झलक दिखाई थी।
यह एक 'महिला' है और इसका नाम व्योममित्र रखा गया है, जिसका मतलब 'आकाश का दोस्त' होता है।